विश्व के हितार्थ एक दुखद निवेदन
डा० जी० भक्त
हे माननीय, शुभानन्तुः ।
मैं बिहारी नागरिक हूँ एक देहाती होमियोपैथिक चिकित्सक, शिक्षा से प्रेम रखता हूँ। जनता का सेवक देश भक्ति का समर्थक। मेरे राज्य के मुख्य मंत्री जी तथा देश के प्रधान आप दोनों का नेतृत्त्व हम पर है मान्य है, आप सभी पूज्य है ।
गत 2020 में कोरोना के सम्बन्ध में “ओ माई गौड” इमेल पर निवेदित किया था। तत्क्ष्ण एक सुझाव आया आदेशानुसार उसका उत्तर दुहराया। अब तक कुछ नहीं।
लेकिन कोरोना तो जा नही रहा आप सभी कोरोना क रुलाने वाले चित्कार का प्रतिकार करने में जो कुछ भूमिका निभा रहे वह विश्व को भयभीत ही करता जा रहा और आप अपना कहते और सुनते अपनी ही हैं। मन की बातें, जन की नहीं। अपने देश में “मन” 40 सेर 37 किलो का होता है, लेकिन आपको लगभग डेढ़ अरब मनों का बोझु हरना है।
आपसे तो है ही, मेरा निवेदन इस वैश्विक स्वास्थ्य समस्या सह रोग निदान पर यह है कि होमियोपैथी को भी दिल में स्थान दें और मेरे विचार और विनम्र सुभाव पर भी विचारें । भरोसा दिलाता हूँ, दुनिया जरा इस पर भी ध्यान दें, उसमें ही उसका कल्याण है।
उस आपदा का कारण ऐसे समझें- सुकरात प्रह्लाद, ध्रुव, ईसा, मीरा, गेलिलियो और गाँधी को सता मारने का ही यह फल है। यह रोग नहीं है रोग रहता तो हमें सताकर विदा लेता, डेरा नहीं डालता। यह चिकित्सा पद्धति का दोष या विनाशक प्रभाव नहीं। यह भौतिक वादी विचार धारा पर पलती चिकित्सा व्यवस्था की कारामात है जो अपना स्थायी निवास किसी खास स्थान को नहीं पूरे विश्व को अपने विविध रूपों में स्तरों पर अपनें आगोश में ले रखा है। ध्यान दीजिए इसे उन तक पहुँचाइये, जो दिन-रात इसका जाप करते हैं। मेरी भावना को भी पहचानिये । सही समय है।