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सन् 1948 की 30 जनवरी पूज्य बापू की पुण्य तिथि

डा० जी० भक्त

कभी-कभी मेरे मानस में ऐसा ख्याल आया करता है कि धरती पर व्यावहारिक जीवन होने के साथ व्यवहारिक सोच और वैसा ही लक्ष्य लेकर बढ़ने वाला कोइ पुरुष हुआ हो जिसकी मैं हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित कर पाऊँ। मुझे लगा कि परम ब्रह्म त्रिदेव में से भगवान विष्णु के अवतार जिन्हें बताया गया वे अवध पति राजा दशरथ नन्दन धनुष धारी राम पुरुष रुप में देवोपम तथा मानवादर्शों से परिपूर्ण नरोत्तम लीलाधारी हुए। उनके राज्य में जो विशिष्टतायें गोस्वामी तुलसी दास जी ने रामचरित मानस में चित्रित किया वह दिव्योपम है। वैसे ही हमारे बीच पूज्य राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी ने अपने देश भारत वर्ष को आजादी दिलाकर जिस राज्य की कल्पना की थी उसका नाम करण भी राम राज्य ही था जिसका भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समावेश किया गया था। विशिष्टता थी- कवि के मुख से –

“रामराज्य में सभी बराबर समता शंख बजाना।
अमर संदेश बापू जी का बच्चों भूल न जाना।।”

उक्त पद्यांश को जो कोर्स बुक में छपा था उसे छात्रों को पढ़ाते हुए शिक्षा दी जा रही है कि बच्चे अपने जीवन में सदा याद रखें। पूज्य बापू का यह विचार था कि भारतीय राज्य व्यवस्था में समानता का अधिकार होना चाहिए। गाँधी जी की तीन बाँते बहुमूल्य रही, किन्तु हमने उन्हें पूर्णतः भुला दिया। वे थे (1) अहिंसा अपनाना। उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई बिना बंदूक-तलवार चलाये लड़ी। (2) बुनियादी शिक्षा, जिसे अपनी ही सरकार ने बंद कर दी, किन्तु अंग्रेजी प्रथा भैकाले वाली अबतक प्रयोग में है। (3) स्वदेशी वस्तुओं, गृह उद्योग को विकसित करना। खादी जो अच्छा विकास कर रहा था। सरकार इसे चलाने में असफल रहीं। हम कैसे माने कि हम पूज्य बापू की निवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उनके सपने पूर्ण व्यावहारिक एवं अति कल्याणकारी थे।

उपर मैं भगवान राम का नाम लेकर विषय उठाया था। तुलसी दास जी ने ही कहा-

“बार बार मुनि यतन कराहि।
अन्त राम मुख आवत नहीं।।”

किन्तु बापू के मुख से मरते समय “हे राम” शब्द निकला। सचमुच गाँधी जी श्रद्धांजलि के योग्य हैं। देश के नागरिकों, छात्रों, युवाओं और नेताओं को इस पर गम्भीरता से सोचना होगा कि हमें गाँधी जी के सपनों को साकार कर हीं उनकी श्रद्धांजलि को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में साकार करें। जैसे हमलोगों ने राम लला के श्री विग्रह को स्थापित और राम मंदिर का पुर्ननिर्माण कर अपनी संस्कृति की गरिमा दुहराई है।

! जय हिंद !
!! पूज्य बापू अमर रहे !!

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