Mon. Nov 4th, 2024

समयानुसार सोचना अनिवार्य होता है ।

IMPORTANCE OF INSTANT THINKING

समयानुसार सोचना अनिवार्य होता है । IMPORTANCE OF INSTANT THINKING Dr. G. Bhakta Article
सदा कर्म में तत्पर रहना विकासवादियों का गुण है किन्तु निरर्थक व्यस्तता पागलपन कहलाता है । उचित या समयानुकूल सोच ही युगधर्म है । अवसर को खोने वाला अपनी मुट्ठी में क्या पा सकता है । बड़ी – बड़ी लोकोक्तियों और मुहावरे क्यों बने ? फटकारें क्यों लगी ? समय की पुकार पर सक्रिय होने के लिए । इसे कहते हैं जागरुक होना ।
 घर पर हमारे श्रेष्ठ परिजन पुरजन , विद्यालय में शिक्षकगण , समाज के अनुभवीजन , लेखक और कवि क्या सीख देकर हमारे मानस में उर्वरता लायी । हम योग्य और अध्यवसायी बने । पेड़ से फलों का गिरना , उबलते जल में वाष्य और जल के प्रवाह में बहते – लुढ़कते पत्थर हमें क्या संदेश दे गये ? हम न्यूटन , जेम्सवाट आदि आविष्कारक बन कर अमर हो गये । कल्पना के उड़ान में आसमान छूने की सम्भावना छिपी है । कण – कण में जीवन जगाने की क्षमता निहित है । पत्तों का हिलना हमें प्रेरणा देती है । और हम हम तो बैठे – बैठे ख्याली पोलाव का स्वाद चखते है ज्ञान के चक्कर में पिसाते रहना भी अविवेकता है ।

पोथी पढ़ि – पढ़ि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।
ढाई अक्षर प्रेम का , पढ़े सो पंडित होय ।।
 ” ऐके साधे सव सधे सब साधे सब जाये “

आदि उदाहरण को समझाने वाले कबीर हमारे हमे सैकडो वर्ष पहले चले गये . आज भी संदेश दे ही रहे है । प्रासंगिक बने है । लोग उन्हें भूत काल को सौंप डाले , उनके उपर कूड़े डाल रहे । नहीं , हम जगे , औरो को जगायें , न ज्ञान पुराना होता है न सच्चा मानव मरता है । यह मानव कई प्रकार से कई अर्थो मे अपने वचन और कर्म से अमरता प्राप्त कर रखा है । हमारी संस्कृति के स्तम्भ बन चुके हैं । हम भी मानव हैं । हमे भी जगना है । सोचना और विचारना मात्र नहीं , कुछ करके दिखाना भी है । मुहावरों को सार्थक बनाना है ।

डा ० जी ० भक्त
मो०-9430800409

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *