आँसू
संवेदनाओं की झोली में एक अनुत्तरित प्रश्न-1
आँसू एक परिचयात्मक पाणि – पल्लव
आँसू तो जलावतरण है , सवेदना का सहचर एवं करुणा का प्रेरक तथापि उनके पीछे प्रश्नों के जाल बिछे होते हैं जिनका उत्तर आसान नही , चिंतन को झकझोड़ने और जिन्दगी को मोड़ने की अप्रतिम क्षमता होती है फिर भी सामाजिक परिवृत्त मे घिरे होने के कारण वह दीनता का घोद्यक बनकर विपन्नता के बोध ही बने ।
लघुता में गुरुता और कणिका में मेरु को छिपाये अश्रु बूंदों के प्रहार चन्द कणों में मानव समष्टि के बीच तूफानी चक्रवात पैदा करते हैं । क्या हो गया ? वह रो रहा है । औंसू अनवरत गिर रहे । कुछ कहता नहीं , सिसकियाँ भर रहा है । कोई फूट – फूट कर रो रहा है । कोई गहरा आघात ! किसी गम के हालात !! कोई भारी दोषारोपन !!! किसी अपूरणीय क्षति की घटना !!!! किसी प्रिय का निधन !!!!!…………… क्या हो सकता है इसका कारण ? मैं क्षुभित हुआ देखकर । वह अश्रु प्रवाह रुक न रहा । कोई गहरा अवसाद है या अपनी भूलों का विशाद ? सोचते नहीं बन पा रहा । देर से देख रहा हूँ । चिन्ता बढ़ रही है । कोई पास आता नहीं । पूछता नहीं । मूक प्रयास है।यह कैसा एहसास है । निरुत्तर हूँ । कौन इस रहस्य को समझाये । विहरण है , वेखबर !……………….. सोचते नही बनता !!
………………. लगातार रुदन- क्रन्दन । आँसू की झड़ी , कौन – सी विपत्ति आ पड़ी । यह कैसी है विषम घड़ी । उच्छवासों की लम्बी लड़ी , आखिर बोलती तो सही । अवश्य कोई दुखद घटना घटी ।
अनुमान लगाये जा रहे । आकलन किये जा रहे । चिन्ता सता रही । कुछ बढ़ा ………….फिर चल पड़ा । वह वही पर गहरी साँसे छोड़ती , असीम कल्पनाओं को जन्म देती , भावनाओं को कुरेदती , …………यह कैसी है नियति ? सोंच पीछे पड़ रही , कितनी लम्बी है जिन्दगी , कितने कष्ट हैं जीवन में । जिसकी आदि का अनुमान नहीं , उसके अन्त का अन्दाज क्या ? दुर्दिन की घड़ियाँ दुसह वेदना लाती है । तबतक पूछने वालों का ताता लग गया । एक अपरिचित । कोई उसे पहचानता नहीं । कोई वैसा मिलता, जो उसका पता देता, कुछ हाल समाचार सुना जाता ।
आखिर है तो वह भी आदमी । इतने लोग जुट गये । जानकारी नहीं मिल रही । लगता है कही दूर की होगी । बिछुड़ गयी होगी । कोई समस्या होगी । भूत तो अज्ञात ही है । वर्तमान में आँसू का प्रवाह । न जाने भविष्य कैसा है ? किसकी चिन्ता है जिसकी आह उसे सता रही ? रहस्य सुलझाने की , कारण पर खोज करने की घटना पर शोध करने की श्रृंखला शुरु हुयी । पथिकों का आना जाना , रुकना , पूछना , फिर चल पड़ना । यह कैसी विडम्बना हैं , जानना मुश्किल , समझना मुश्किल फिर बताये समझाये कौन ? अनन्त के छाये में दुर्दिन की घड़ियाँ गिनती अथाह में पड़ी , पूछने वालों को भी एक गहरी पीड़ा दे रही । आँसू । सिर्फ आँसू के ये प्रभाव है , किन्तु कारण छिपा है । सवेरा हुआ , दिन गुजर गया । पूछने वाले राह पकड़ लिए ।……..और वह …….?
………..निशा के अन्धकार में तारे गिनती ………..। लेकिन दुनियाँ इतनी भर ही नहीं ।
ये आँसू क्या है ? पर चिन्ता क्यों ? किस बात के लिए ? ये चिन्ता का विषय क्यों बने ? ये क्यों महत्त्व पूर्ण माने जा रहे है ? इनकी अगर दिव्यता या महत्ता है तो वह कैसी ?
ये अश्रु धार शरीर के स्राव है । मल , मूत्र , पसीना , श्लेष्मा आदि की तरह शरीर से त्याज्य पदार्थ है । इनका स्राव निसरण आँखों से होता है आँख में अक्षि गोलक के ऊपर भुवों ( भौ के अन्दर ) नासा मूल के दोनों ओर अश्रुगंथि ( Lachrymal glands ) होते है , जहाँ से आँसू का स्राव होता है ।
आँसू या अश्रु एक प्रकार का तरल पदार्थ है , पतला , किंचित लसीला . स्वच्छ , जल के समान , नमकीन , गंधहीन , तथा , कटु होता है । अम्लीय या क्षारीय होने से कभी छनछनाहट त्वचा में होती है कभी प्रदाह या , गलना भी देखा जाता है । कभी सूखने पर पपड़ी पड़ती है या कीचड़ बनकर पलकों का सटना देखा जाता है । कीभी इससे जलन एवं खुजलाहट का अनुनव होता है । आँसू गिरते समय हल्की गर्मी का अनुभव होता है । उत्तेजना या दुखद संवेदना में अश्रु में जलन स्वाभाविक होती है । सुखद अश्रु प्रवाह शीतल होता है ।
अश्रु श्राव भावनात्मक संवेदनात्मक , सहानुभूतिक और दिव्यानुभूति का परिचायक होता है । प्रवृत्यात्मक रुप से तमोगुणी या किंचित रजो गुणी होने पर अश्रु साव की न्यूनता एवं भावुकता का अभाव लक्षित होता है । चौरवृत्ति या क्रूर , निर्दयी , हिंसक स्वभाव वालों में आँसू का आना विरले देखा जाता है । हठी बच्चे लगातार रुदन द्वारा अपना लक्ष्य साधा करते हैं । घृष्ट बालक प्रहार और चोट सहकर रह जाते पर रोते नहीं । उनके आँसू ढक्क नहीं पाते ।
आँसू गिरना रोग भी है । आँख आना या चक्षु प्रदाह ऑप्थैल्मिया ( Inflamation of eye or Conjuctivitis ) में कर्वाहट और दर्द के साथ आँख में लाली चुमन और अश्रु प्रवाह का चलना कष्ट कारक रोग है । एकल रुप से या दोनों आँखों से पानी गिरना भी रोग है । अश्रु का स्वाभाविक स्राव रुक जाना या अश्रु गंथि ( Lachry malgland ) की सूखपान ( Atony or Dryness भी रोग है । आँखों के अन्य रोग में भी अश्रु स्राव का होना सहचर ( Associate ) लक्षण हो सकता है ।