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-:आवश्यक निर्देश :-
 ( कोरोना – 19 ) की रोकथाम एवम् उपचार हेतु इस दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

 दवा का नाम: – हिप्पोजेनियम 200

(HIPPOZAENIUM)

 खुराक ( रोकथाम के लिए ): – 30 नंबर की गोली में दवा तैयार कर – उसकी छ : ( 6 Pills ) गोलियाँ आधा कप पानी में घोलकर परिवार के सभी सदस्यों को 2 चम्मच प्रति व्यक्ति सप्ताह में एक बार पिलाएँ जब तक क्षेत्र ( गाँव एवम् पास पड़ोस ) में संक्रमण प्रभावी रहे | बच्चों को ( 2 वर्ष तक के ) मात्र एक चम्मच |
 उपचार के लिए : वही दवा , वही शक्ति , उसी प्रकार तैयार कर हर रोगी को 2 – 2 चम्मच दो – दो घंटा के अंतर से सुबह से शाम ( 9 बजे ) तक चलाए | सुधार होने पर समय अंतराल घटाया जा सकता है ।

-: विशेष निर्देश :-

 महानुभाव ,
 अपने देश के ही नहीं , विश्व के सभी देश की जनता के प्रति इस वैश्विक विपदा के निवारणार्थ दवा के अभाव को देखते हुए प्रारंभ से ही चिंतित रहा हूँ । दीनानुदिन स्थिति बदल रही है । समस्या गहरा रही है | मानवता शोक और कष्ट से व्याकुल है | एक दवा की खोज की चिंता है | भारत में भी वहीं स्थिति है किंतु और देशों से कम | फिर भी कल 5 मई के संबंध में चिंता बढ़ी जब संक्रमण जो घाट रहा था , उसमें वृद्धि देखी गयी |
 मैं 20 मार्च को माननीय प्रधानमंत्री महोदय के राष्ट्र के नाम संदेश सुनकर इस दिशा में प्रयासरत रहा है । इस संबंध में जागरूकता और जानकारी साझा करता रहा हूँ । मैं आयुष सचिव ( होमेयो० ) से संपर्क साधा | उन महोदय की ओर से कुछ भी सकारात्मक न पाकर स्वयं गंभीर चिंतन और विमर्श का प्रयास करता रहा | आज मैंन इस विपदा को संवरण न कर रहा फिर भी धैर्य के साथ आपके समक्ष सेवा में उतार रहा हूँ ।
 अब तक अपने क्षेत्र में प्रयोग के तौर पर जो दवा चलता रहा हूँ उसके विस्तार , प्रचार और प्रसार के साथ मरीजों के कल्याण की कामना के साथ अपने पाठकों के बीच है । देश एवम् राज्यों के स्वास्थ्य विभाग , आयुष चिकित्सक , कॉलेज के अस्पताल व्याख्याता , होमेयोपैथी के शुभेच्छू गण , तथा होमेयोपैथी से लाभ पाने वाले असंख्य लोगों का आशीष पाना चाहता हूँ जिससे यह विपदा घाटे और विश्व का कल्याण हो पाए ।
 प्रथमतया , तो इसकी रोकथाम का कार्य होना चाहिए उसके लिए मैंने होमेयोपैथी की ” हिप्पोजेनियम ” दवा की 200 शक्ति पर विश्वासपूर्वक उतार पाया हूँ जिससे अंदर कोविद – 19 से संक्रमित रोगियों के संपूर्ण लक्षण पाए जाते हैं | उन्नीसवी सदी के होमेयोपैथिक आविष्कर्ता के सहयोगी डा . जे . एच . क्लार्क ने अपनी पुस्तक में स्पष्ट उल्लेख किया है । उस दवा के खोजकर्ता डा . जे . जे . गर्थ विल्किंसन हुए हैं । डा . विलियम बोरिक ने भी प्रशंसा की है । डा . एन . सी . घोष ने भी बतलाया है । एम . भट्टाचार्य के कलकत्ता से प्रकाशित तुलनामूलक मेटेरिया मेडिका के तृतीय खंड 3424 पेज पर हिन्दी संस्करण में पढ़ा जा सकता है । बोरिक की हिन्दी संस्करण मेटेरिया मेडिका एंड रिपर्टरी में 376 पृष्ठ पर तथा क्लार्क की A DICTIONARY OF PRACTICAL MAT . MED . के पेज 906 पृष्ठ प्रथम खंड पर पढ़ा जा सकता है |
 मैं हनीमैन साहब को साक्षी मानकर आप सबों की शुभकामना का आकांक्षी हैं साथ ही महान विभूति का दिया गया प्रसाद आपके सेवा में सश्रद्धा एवम् विश्वास के साथ निवेदित करता हैं ।
 इसे उपचार के रूप में भी यथापूर्व निर्दिष्ट विधि से चला सकते है | हॉस्पिटल , शिविर आदि में तथा कॉलेज के इनडोर में सार्वजनिक रूप से कोरोना – 19 के रोगियों को डिस्टिल्ड वॉटर में तैयार कर उसी विधान से खिला सकते हैं ।
 जो इस दवा के प्रयोग की सफलता पर शोध करना चाहते हैं वे अपने आइसोलेशन वार्ड में स्पेसिफिकली डाइयग्नोस्ड रोगी एवम् अनस्पेसिफिकली डाइयग्नोस्ड रोगियों को अलग – अलग पूर्व विधान से दवा का प्रयोग कर उसकी एफिकेसी पर विचार कर सकते है । होमेयोपैथिक डा . क्रॉमपटन बर्नेट ने ( एलोपैथ ) इनफ्लुएंजा के रोगियों को वैसे दो वार्डों में बाँट कर एक में एलोपैथिक दवा का तथा दूसरे में होमेयोपैथिक दवा का प्रयोग कर पाया की होमेयोपैथी से रोगी शीघ्र आरोग्य पाया । तब वे एलोपैथी छोड़कर हनीमैन के शिष्य बन गये ।
 ( पुस्तक – हाउ आई बिकेम ए होमेयोपैथ ) नार्वे में कुछ वर्ष पहले ” डेंग ” पर होमेयोपैथिक दवा ” यूपेटोरिय पर्क ” की क्रिया ( सफलता ) का पता लगने के लिए ऐसा ही प्रयोग किया गया था | ( Transaction Proceeding of International Homoeopathic Congress , New Delhi )
 माननीय CCRH के निदेशक महोदय से भी मेरा आग्रह होगा की अपने स्तर से कोरोना से संक्रमित रोगियों के चिकित्सास्थल पर जाकर उनके साथ इस विषय पर कार्य कर उसकी पुष्टि कर एक कीर्तिमान बनाकर होमेयोपैथी को विश्वसनीयता दिलाएँ ।
 चिकित्सा जगत के इए हर पद्धति वालों को आयेज आने स्वर्णिम समय है | दुनियाँ आशा की नज़र से हमारी ओर टकटकी लगाए तालों में बंद है । होमेयोपैथी इज ए ट्रेस , वी हैव टू गो एहेड |
 हमारे देश की होमेयोपैथिक बड़ी संस्था The Homoeopathic Medical Association of India को भी इस विषय पर यथाशीघ्र अपनी सोच और प्रयास करना चाहिए | एक महत्वपूर्ण विमर्श की आवश्यकता है | हमारे इस संगठन को आगे आकर बढ़चढ़कर कुछ करना चाहिए | मुझे आशा है ; उनका साथ मिल पाए |
 जय हनिमैन !
 जय भारत ! !

डॉ. जी . भक्त

 प्रोग्रेसिव साइंटिफिक ,
 मेडिकल एंड लिटररी रिसर्च फाउंडेशन ,
 हाजीपुर ( वैशाली ) बिहार

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