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कोरोना पर चिकित्सा जगत की पहुँच कितनी विश्वसनीय

डा० जी० भक्त

अगर कहा जाय कि कोरोना के प्रति विश्व जंग अधूरा रहा तो इसमे कोई बड़ी भूल नही मानी जा सकती। इसके निदान और बचाव में स्वास्थ्य सेवा की भूमिका से कही अधिक सरकारो द्वारा प्रचार माध्यम आगे रहा। यह निर्णय कर पाना कि-

  1. मास्क का प्रयोग
  2. स्वच्छता पर विशेष जोर
  3. डिस्टेन्सन
  4. लॉक डाउन
  5. जाँच प्रक्रिया
  6. आइसोलेशन एवं क्वारेण्टाईन
  7. वैक्सिन की जल्दीबाजी एवं आभासी दवा का प्रयोग कामयाब रहा या जनता की निर्मीकता ने सफलता दिलाई अथवा रामदेव बाबा का नुश्खा ।

इन सबके बावजूद शोध, सावधानी एवं संक्रमण पर निगरानी पर भी प्रश्न चिन्ह बना ही रहा, भय घबड़ाहट, परेशानी, शवों की दुर्दशा, अपर्याप्त व्यवस्था, नैतिकता, मानवता और परिजन पड़ोसी के प्रति प्रेम सद्भाव का महत्व और स्वामित्व की संस्कृति को ताक पर रखकर शवों का संस्कार और बीमारो, संक्रमित्तों का तिरष्कार सब मिलकर मानवता के प्रति क्या हुआ वह व्यक्त करना औचित्य नही रखता।

बड़ाई की लूट तो हुयी, मानव और मानवीयता की क्षति, अर्थ व्यवस्था का विगड़ना, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ग्रहण और महामारी का रूप बदल-बदल कर प्रकट होना अवतक जारी रहना स्वयं अपनी सार्थकता का प्रमाण प्रस्तुत कर रहा है। यह उचित है कि विज्ञान अपनी प्रामाणिकता पर गव करता है किन्तु वह संहारक अपरिपूर्ण कचरे व्यागने वाला, प्रदूषण देने वाला प्रस्फुट विकास के साथ बिनाशक भूमिका प्रस्तुत कर्त्ता भी है। तथापि यह दूसरों की नही सुनता हमारा देश भारत किंचित गौरव भी पाया सही है किन्तु एलोपैथी के सामने किसी को कुछ करने का अवसर नहीं मिला।

होमियोपैथी विश्व की द्वितीय किर भी निरापद सस्ती सेवा से आरोग्य दिलाने वाली पद्धति वालों की भी निराशापूर्ण भूमिका रही। मार्ग दर्शन पापकर भी आगे नही आये और न सरकार सुनी। करीव तीन वर्ष वीते किन्तु न इस विश्व व्यापी एवं संहारक महामारी पर न शाद्य हुआ, न प्रयोग, न दवा का अनुसंधान, न स्पष्ट निदान, सिर्फ व्यख्यान प्रसार चालू है।

विशेषज्ञ स्वीकारते हैं कि अभी-अभी कोरोना का खतरा बना हुआ है। भारत में ही नही पूरे विश्व से होमियों पैथों का भी साथ प्राप्त करने के लिए आगे आये। यहा पर सम्भावनाएँ है जागृति और सहयोग के साथ उसमें आस्था जगाने के सम्भव है कुछ भला हो पाये। मैं पुनः आग्रह शील हूँ एकवार Hippozaeminum 200 की छ: (six) गोलिया एक कप पाकी में गलाकर 1 से दो चम्मच सप्ताह में एवार लगातार तीन माह तक सारी जनता (आवाल क्यो वृद्ध तक) को दिया जाय। यह विधान निदान के सारे लक्ष्य पूरे कर सकेंगे।

कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा। HMAI, C.C.H, CCRH, LHM I तथा AYUSH आगे आकर जनहित में होमिया पैथी को उतार कर कृतार्थ हो ।

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