कोरोना में ऑक्सीजन क्राइसिस का विकल्प
श्वसन क्रिया बाधित होना ही ऑक्सीजन क्राइसिस लाता है । श्वसन क्रिया में वायु नली का बाधित होना इसका प्रमख कारण है । बाधा आने की पहली पहचान हैं दम फूलना , श्वास की गति तेज होना फेफड़े में ऑक्सीजन की कमी आने से मांग बढ़ना । जब श्वास नली में प्रदाह एवं सजन उत्पन्न होता है तो नली पतली पड़ जाती है । प्रयाप्त वायु का आवागमन बाधित होने लगता है । तीव्र श्वास लेने से वायु नली की शक्ति कमजोर पड़ती है तो फेफड़ा में ऑक्सीजन का पहुँचना कम पड़ता है । इससे खतरा की स्थिति आती है ।
वायु नलियों तथा फेफड़े की नलिकाओं द्वारा फेफड़े में वायु के आवागमन का रुकना नलियों में वलगम जमा होना , रक्त की कणिकाओं के थक्के जमा होने से यह अंतिम समस्या आती हैं जहाँ ऑक्सीजन की आपूर्ति की जरुरत पड़ती है । जीवनी शक्ति को मजबूत करने वाली दवाएँ फेफड़े में स्थित रक्त को सक्रिय बनाकर रखती है । होमियोपैथी में इन सारी परिस्थितियों को दवा अलग अलग कारण और लक्षणों के लिए है । ये दवाए पेटेन्ट नही है । चिकित्सक को देख और निणर्यनुसार बताए गये तरीके स दवा खिलायी जाती है । यह एक बड़ी धोखा है कि किसी दवा की जानकारी पाते ही दूकान से पूरी दवा संग्रह करके रखलिए और अपने मन से खाना प्रारंभ किये । इसके लिए दवा का दूकानदार उन सारी गड़बड़ियों का जिम्मेदार बनेगा जो रोगी के लिए दवा लाने में तौर तरीके का ज्ञान नही रखता है और दवा बेंच कर पैसा कमा लेना भर अपना काम समझता है ।
इसके लिए हमारे देश के आयुष मंत्रालय को अपने निदशों से सावधान करना चाहिए ताकि आम जनता इस धोखे में न पड़े । होमियोपैथी सबका सहारा बन सकता है अगर विधानत सेवन किया जाय । बिना किसी अनुभवी चिकित्सक से राय लिए कभी भी दवा को मनमानी ढंग से प्रयोग न कर । इसके लिए आयुष के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए लोगों को अगाह किया करें ।
कोरोना की लड़ाई में हिप्पोजेनियम 200 नामक दवा का सेवन निम्न प्रकार से करें :-
गोलो में तैयार दवा की छः गोलो आधा कप पानी में धोलकर प्रत्येक व्यक्ति 2 चम्मच दवा पी जाय । परिवार के छः सदस्यों के लिए यह खुराक है । फिर एक सप्ताहबाद उसी तरीके से दुहराते चले । यह दवा 3 महीने के लिए होगी ।
जबतक कोरोना का प्रचलन पाया जाएगा इसका प्रयोग चलता रहेगा । यह भी उल्लेखनीय है कि हमारे बीच होमियोपैथी के जानकार या चिकित्सक कहलाने वाले अनुभवहीन डॉक्टर है जिन्हें एक दवा की विशेष जानकारी नही है । वे रोगियों को गुमराह करते है ।
सेवा के साथ सावधानी भी चाहिए ।
ज्ञान के साथ अनुभव भी ।
डा ० जी ० भक्त