कोरोना ( सीओवईडी – 19 ) के विश्वव्यापी विनाशकारी प्रभाव के प्रति सुरक्षात्मक कदम की होमेयोपैथिक पहल :
डा . जी . भक्त
मो. : 9430800409
हमारे देश के सभी नागरिक अवगत हो चुके हैं की विश्व के अधिकांश और विकसित देश इस वैश्विक संक्रमण के चपेट में बुरी तरह फँस कर विनाश की ओर बढ़ रहे हैं । ऐसी परिस्थिति में प्रतिरक्षात्मक सहित निवारणात्मक पहल के लिए देश और समाज में प्रचलित सुरक्षात्मक पहल के प्रति जागरूक और प्रतिबद्ध हों | देश में चिकित्सा की प्रचलित हर पद्धतियों के चिकित्सक सर्व प्रकारेण सुरक्षित और जीव की शक्ति को जागृत करने का सफल विधान ढूंढ कर नियंत्रण सह आरोग्य की दिशा में पहल करें ।
यहाँ पर होमेयोपैथी के महान प्रवर्तकों के ज्ञानानुभव और लिखित ग्रंथों के सार रूप तथाकथित कोरोना वाइरस से उत्पन्न होनेवाले लक्षणों और घातक प्रभावों के सदृश लक्षण समष्टि से तुल्य दवाओं पर विराद विचार विमर्शो परांत निर्णित निर्देश आपके बीच साझा किया जा रहा है जो निरापद है , विज्ञानसम्मत एवम् विश्वसनीय है । स्थानीय तौर पर हमारे यहाँ यह पहल प्रारंभ किया गया है ।
सभी होमेयोपैथिक चिकित्सकों , अस्पतालों , कॉलेजों , संगठनों सहित समर्थकों से आग्रह है की निम्नलिखित दवाओं पर विचार भी करें | प्रयोग और प्रसार कार्य में सहयोग कर मानवता की रक्षा का कीर्तिमान स्थापित करें और यश का भागी बनें |
आयुष ( होमेयो० ) के पदाधिकारियों , अनुसंधान कर्ताओं से भी नम निवेदन है की उनके स्तर से भी उचित निर्देश ग्यापित किए जाएँ तथा विभागीय स्तर से भी कार्यक्रम चलाने की व्यवस्थित कड़ी शुरू की जाए , जो मार्गदर्शक सह नियंत्रणात्मक भूमिका निभा सके | इसकी अपेक्षा हर नागरिकों से है । रोगों की चिकित्सा सिर्फ होमेयोपैथी में है – नेचर क्योर | अन्य प्रक्रियाएँ उससे कांतर हैं । सोसल डिस्टॅनसिंग ( कैजुअल या एबसोल्यूट ) एक मात्र सावधानी है उपचार नहीं |
इन दवाओं के प्रति पूर्ण भरोसा रखकर , विचार कर ही अपनाएँ , जैसा यहाँ पर निर्देशित किया गया है ।
1 . प्रतिबेधक रूप में –
एकोनाइट विचारणीय नहीं , क्योंकि इस दवा में मुख्य लक्षण मृत्युभय है तथा मूल कारणों में पूर्वी सुखी हवा का प्रभाव है । अगर संक्रमित रोगी में मत्यु भय पाया जाय तो आरोग्यकारी साबित होगा ।
2 . आर्सेनिक भी प्रतिरक्षात्मक नहीं क्योंकि इस दवा का प्रयोग शरीर को ह्रास की दिशा में ले जाता है । अगर स्नन ( संक्रमित रोगी ) हो तो अतिशय कमज़ोरी आने पर उसके लक्षण पाए जाएँ तो लाभकारी हो सकता है ।
3 . सौरा दोष संक्रामक रोगों को प्रभावित करता है इस हेतु प्रमुख सोरा दोष नाशक औषधि सल्फर 20 प्रति रक्षात्मक रूप में प्रयुक्त होगा , अगर प्रयोगकर्ता को गर्मी असह्य हो । अगर शीत के प्रति असहिष्णु हो तो सेरिनम 200 दिया उपयोगी सिद्ध होगा | |
4 . अगर प्रयोगकर्ता त्रिदोष से प्रभावित या ट्यूबरक्यूलर हो तो सल्फर आयोद 200 दिया जाए ।
5 . कोरोना के समकक्ष लक्षणों के प्रशमन ( रोकथाम ) में हिप्पोजेनियम 200 सटीक बैठता है । स्पेसिफिक रोगी के लिए भी साथ ही नन – स्पेसिफिक रोगी भी इससे आरोग्य पाता है | इसका प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए |