कोरोना से जारी जंग के बीच विरोधाभास की प्रासंगिकता
खबरें तब चिंता जनक लगती हैं जब उनके संबंध में कोई विरोधी हवा बहाई जाती है । उल्लेखनीय है की इस प्रकार की खबरें प्रकाशित भी होती रहती हैं साथ ही सरकार द्वारा भी वैसी खबरों से सावधान रहने के निर्देश दिए जाते हैं । यह निर्देश रहता है की सरकार द्वारा विभागों या सक्षम पदाधिकारी को आदेश दिया जाता है की इन विरोधी बातों से सावधानी बरतने के संबंध में जागरूकता लाई जाए |
उपरोक्त बातें महत्वपूर्ण एवम् उचित है तथापि जाहिर है की हम समाचार पत्रों , रेडियो , टी . वी . या मीडीया द्वारा आई चर्चाओं या स्मार्टफॉन पर सुनकर ही कुछ जान पाते है । कोरोना विषय आज के सन्दर्भ में नवीन है । जो कुछ भी जनता जान रही है या करने का निर्देश दिया जाता है , बस उतना ही मात्र से लोग अवगत है | पालन कर रहे हैं | उसके भले बुरे प्रभाव से अवगत हो रहे हैं । दोनों ही के दोष सामने रखे जा रहे हैं ; गुण के संबंध में भी स्पष्ट किया जा रहा है । किंतु चिंता है विरोधाभाशों के बारे में | आपके पास जाँच के साधन और कार्यकर्ता , विशेषगी सभी हैं । ऐसा भी हुआ है की दोषों पर स्पष्टीकरण भी आ रहा है | कहाँ से गलतियाँ हो रही हैं इसपर भी समाचार मिल रहे | कोरोना के संबंध में पूरी जानकारी क्या है वह पटल पर आता जा रहा है , वहीं साधन है जानने का | जानकारी देने वाले या तो उसके विशेषगी होंगे उनकी जानकारी कितनी पक्की होगी , सांसिदध होगी , यह कोई सरकार के लिए भी सच्ची खबर हो , संभव नहीं | जैसे कोरोना 3 फीट की दूरी तक ही प्रगती कर पाती है तो फिर जानकारी में कैसे आई की 12 फीट की दूरी पर भी इससे संक्रमित हो पाया गया | जब फ़रवरी – मार्च के संक्रमण काल में यह खबर आई की एप्रिल आते गर्मी बढ़ने पर स्वयं ही कोरोना वाइरस प्रभावहीन हो जाएगा तो एप्रिल के ख़त्म होते – होते तक इसका विस्तार हो रहा है ।
उपरोक्त बातों से व्यक्तिगत रूप से मुझे भी भ्रांति हो रही है की मैं अपुष्ट खबरें या जानकारियों के संबंध में प्रसारण भ्रमात्म है ।
और चिंता जनक है , क्योंकि इसका संक्रमण जहाँ पर नहीं पाया गया है वहाँ के लोग सरकार की नीतियों के प्रसारण और निर्देशों पर विश्वास कर जनता जहाँ तक संभव हो रहा है , पालन कर रही है | सरकार इसका श्रेय जनता को भी अपनी सफलता के लिए दे ही रही है , जिनके द्वारा उल्लंघन हो रहा वे सज़ा भी पा ही रहे हैं तो वे तत्त्व या दोषी कौन हैं जो भोली जनता को भरमा रहा है ?
खुशी की बात है की जो – जो विचार सामने आया बचाव का , उसका पालन किया जा रहा है | करते रहने की सलाह भी दी जा रही , बंदिशें जा न रहीं , कठिनाइयाँ साहनी पद रहीं हैं | कोरोना से हम परेशन नहीं हैं भयवश या निर्देशानुसार नियम के प्रति जागरूक रह कर , जो – जो कठिनाइयाँ अथवा कष्ट झेल रहे हैं उसके बीच मैं एक होमेयोपैथिक चिकित्सक ( D . M . S . 1968 ) रज़ी० स० 15210 पटना उम्र 73 वर्ष | 1974 से मैं चिकित्सा सह सामाजिक कार्यक्रमों ( होमेयोपैथी ) द्वारा यथा एक्टिव चेचक सर्च कार्यक्रम ( W . H . O . ) द्वारा तथा उसकी रोकथाम , पशुरोगों सहित उनके संक्रामक रोगों पर खोज , प्रेवेंसन एवम एपिडेमिक कंट्रोल एंड एनिमल इन होमेयोपैथी च्लाया |
होमेयोपैथी को पशुचीकित्सा के क्षेत्र के मान्यता दिलाया तथा पशुचीकित्सा विज्ञान के पाँच वर्षीय कोर्स बी . बी . एस . सी . ( होमेयोपैथी ) च्लने हेतु सी . सी . एच . न्यू दिल्ली से अपनी माँग स्वीकृत कराया | जेनिकोलॉजिक्स सर्वे पर विशेष शोधपत्र तैयार कर प्रथम एशियन कॉग्रेस ऑफ फर्टिलिटी एंड स्टरिलिटी बंबई के मेडिकल रिसर्च सेंटर में 23 फ़रवरी 1977 को प्रस्तुत किया जो इण्टर नॅशनल फेडरेशन ऑफ फर्टिलिटी सोसेटिक यू . एस . एल . ( अमेरिका ) द्वारा आयोजित किया गया था ।
इसी बीच चार बार होमेयोपैथी के विश्व महासम्मेलन में भाग लिया अपने शोधपत्रों के साथ । 1968 से मैं प्रैक्टिस में हँ तथा दी होमेयोपैथिक एसोसिएसन ऑफ इंडिया ( HMAI ) का लगातार नॅशनल रिप्रेमेंटेटिव तथा एकबार HM AI के सेंट्रल सेक्राटीएट में रिसर्च कमिटी का सदस्य रह चुका है । जनता पार्टी के कार्यकाल में मैं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजनायक महोदय ( भारत सरकार ) द्वारा संचालित कम्युनिटी हेल्थ स्कीम के सिलेबस का ड्राफ्ट प्लान तैयार करने वालों में प्रतिनिधितत्व किया । ग्रामीण स्वास्थ्य के सहायतार्थ मैंने एक मॉडेल हेल्थ सर्विसेज स्कीम तैयार कर सुपूर्द की एवम् स्थानीय जिला स्तर पर स्वीकृति प्राप्त कर प्रशिक्षण कार्य चलाया एवम उनके प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के मध्यम से ( युवावर्ग एवम् ग्रामीण धातुओं ) के सहयोग से 12 स्वास्थ्य उपकेन्द्र चलाया | इस कार्य के लिए प्रोत्साहन स्वरूप राज्य सरकार ने ग्रांट भी दिया | 1970 – 80 के बीच बाढ़ राहत के कार्य से मुजफ्फरपुर के गायघत प्रवास में सहायता की | इत्यादि ।
जिस दिन हमारे प्रधान मंत्री माननीय मोदी जी ने कोरोना से संबंधित अपना संबोधन राष्ट्र के नाम से प्रकाशित किया , मैंने अपनी प्रतिबद्धता सूचित करते हए इसके रोकथाम हेतु अपना एक आर्टिकल GOOGLE ‘ S पर अपने साइट Myxitiz.com पर प्रतिदिन एक डिसपॅच प्रेषित करता आ रहा हूँ ।
इस सन्दर्भ में मैने प्रॉफिलेक्सिस के रूपमें होमेयोपैथिक दवाओं की भूमिका पर विचार साझा किया उसकी प्रति सचिव महोदय , आयुष ( होमेयोपैथी ) की सेवा में भेजा एवम् उनसे इस बिंदु पर वक्तव्य प्रसारित करने का निवेदन किया किंतु उनकी ओर से कोई सुझाव नहीं प्राप्त हुआ | मेरे प्रतिनिधि से वार्ता के क्रम में उन्होंने इतना ही धन्यवाद देकर कहा की आप जहाँ जो कुछ कर रहे है , कीजिए किंतु मुझपर कोई दबाव न डालिए | जाना गया है की जब कठिन समस्या सामने होतो अनुनय किससे किया जाए ?
पुनश्च , लिखित रूप में निवेदन करना चाहता हूँ की सरकार ने अपने देश में ” आयुष ” को चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोगी के रूप में स्वीकारा एवम् सम्मान दिया है । चिकित्सा के क्षेत्र में कोरोना के लिए प्रिवेंटिव दवाएँ प्रका क्योरेटिव दवाएँ अबतक सामने नहीं आई हैं | आयुष ( आयुर्वेद ) की ओर से काई उपचार सुझाए गये हैं | होमेयोपैथी द्वारा क्या विचारा गया इसपर स्पष्ट निर्देश आयुष ( होमेयो० ) द्वारा नहीं आया | अगर कुछ आया हो तो कृपया उसे पटल पर लाकर उसे ज़्यादा उपयोगी होने का अवसर दिया जाना चाहिए | सरकार द्वारा भी इस सन्दर्भ में कुछ भी सामने नहीं आ पाया है | सुना की कोई आर्सेनिक एल 30 शक्ति तो कोई एकोनाइट 30 चलाने की बात कही | कोई कैंबर बतलाया | किसीने एकसाथ दर्जन के दवाएँ एक पत्र मे गर्म पानी के सब्रो में से कुछ बूंद चुआ कर उसमें से ग्रहण करने की राय दी | ये सारे युक्तिसंगत नहीं , विधान के अनुसार सामी नहीं रखते।
मैंने इन विषयों पर स्पष्ट रूप से जानकारी साझा की है | साइट पर देखकर इसे मनन करें , अपनाएँ , अपना विचार भी दें | जो कुछ हो उपयोगी हो | विपदा में सेवा ही संबल है ।