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 ” जहाँ काम आवे सुई , कहाँ करे तलवार …. । “

 Rapid , gentle and permanent restoration of a sick to health to say the annihilation of abnormal sensations and functions as well as the mental states in the sick individual is called cure .

 रोग लक्षणों का समूल निवारण और स्वास्थ्य की शीघ्रता और सम्पूर्णता से बहाली ही आरोग्य कहलाता है ।

 अगर कोरोना के रोगी की अंतिम दशा में श्वास तीव्र हो , त्वचा नीली , शरीर ठंडा , हवा की तीव्र चाह और नाड़ी कमजोर पायी जाय तो फेफड़े में ऑक्सीजन की कमी समझी जाती है । इस अवस्था में होमियोपैथिक चिकित्सा में ” कार्बोवेज ” नामक दवा ही प्राण की रक्षा करने में सफल साबित हुयी है ।

 ऑक्सीजन की पूर्ति अंतिम चिकित्सा ( उपचार ) मानो जाती है किन्तु उपरोक्त होमियोपैथिक दवा जीवनी शक्ति को जगाती तथा श्वसन क्रिया को सुधार कर ऑक्सीजन की पूर्ति कर पाने में सक्षम होती है । वहा ऑक्सीजन उपलब्ध न रहने पर भी आरोग्य प्राप्त होता है । ऑक्सीजन न हो तो मकर ध्वज या कार्बोवेज ये उपचार सामग्री है दवा के रुप में इनके प्रयोग समान रुप से कारगर है । ऑक्सीजन की आपूर्ति कठिन और खचीली है । कार्बोवेज सस्ती सुलभ और जल्द उपलब्ध होने वाली है । उसका साथ मूल्यवाण साबित होगा । इसका अनादर और अवहलना किसी भी चिकित्सा प्रणाली के लिए अपराध होगा ।

 हमें सेहत से मतलब है बनफ्शा हो या तुलसी हो । यहा प्रणालीगत मतभेद या विरोध उचित नहीं , मानव का कल्याण ही सर्वथा अपेक्षित है ।

 डा ० जी ० भक्त

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