डा . हनीमैन हेल्थ एवम् डिसीज़ के सच्चे पारखी थे
होमेयोपैथी के आविष्कारक डा . स्म्यूएल हनीमैन में मानवीय हितों का ख्याल कूट – कूट कर भरा था | वे कष्टों की समूल समाप्ति चाहते थे तथा जीवन को स्थाई आरोग्य पहुँचकर विकास की स्वस्थ परंपरा कायम करने के हितकामी थे | उन्होंने कारण से निराकरण तक की खोज की साथ ही आरोग्यता को जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में कल्याणकारी भूमिका में खड़ा किए | शरीर और मन की स्वस्थता से ही विकास की अविरल परंपरा कायम हो सकती है | आज आप देख रहे हैं की कोरोना के पीछे विश्व कितना संत्रस्त है की निदान रहित घोषित कर विश्व अपने समस्त विकास को झूठा मान रहा , अपने को असुरक्षित पा रहा | संक्रामक रोगों का फैलना , रोगों के कारण , रोग बीज , जीवनी शक्ति , औषधि में निहित आरोग्यकारी क्षमता का का जीवनी शक्ति से सान्निध्य , प्राकृतिक आरोग्य ( नेचर क्योर ) और जीवन में प्रकृति का सात्म्य संबंध को आरोग्य का मूल रहस्य प्रतिपादित किया |
ऐसे मानवीय हित के सफल और सच्चे विचार के धनी महात्मा हनीमैन समूल आरोग्य का विधान कर जीवन के उच्चतम लक्ष्य की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया | चिकित्सा को सेवा के रूप में स्वीकार कर इसे सरल , सुगन , निरापद और स्थाई आरोग्य का सिद्धांत , कला , रहस्य , और निराकरण का निदर्शन और निर्देशन प्रस्तुत किया | आवश्यक है ऐसे सिद्धांत और ऐसी पद्धति को अपनाना जो सरल , सस्ती और सुगमता से प्राप्त होने वाली हो , जिसमे ज्ञान का गौरव कभी मिथ्या प्रचार न बने बल्कि सच्ची उपलब्धि की गरिमा का गीत बने | सर्व सुलभ और सुखद – शांतिप्रद हो | आरोग्यता को विकलांगता न बनाकर उसे नयी चेतना और नवोल्लासपूर्ण साहस प्रदान करे रोग शोक का रूप न ले | नवजीवन का आयाम लेकर उतरे |
शेक्स्पियर के एक संस्मरण को यहाँ रखते हए हनीमैन ने औषधि की सूक्ष्म शक्ति को रात्र की निस्तब्धता में बाँसुरी की मधुर ध्वनि से तुलना करते हुआ की वह इतना स्पष्ट , मधुर और प्रभावकारी होती है जितना दिन के कोलाहल में नहीं ।
आज हम स्पष्ट देख रहे हैं की इतनी चमक – दमक वाली एलोपैथी धन बटोरने का व्यापार अवश्य बनी किंतु नीरोगता स्थापित न कर पाई । यह भ्रम जीवन को अंधकार में डाल रखा और आज हम पंग बनकर घर में तालों में बंद रहकर कष्टभरी साँसें गिन रहे हैं | होमेयोपैथी में ऐसा कुछ नहीं | पाठक ध्यान दें ।