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Category: डॉ0 जी भक्त

भाग-1 राष्ट्रीय एवं वैश्विक आदर्श

भाग-1 राष्ट्रीय एवं वैश्विक आदर्श 1. आज मानव की सिर्फ स्थानीय ग्रामीण या सामाजिक भूमिका ही नहीं है , बल्कि वह उससे भी आगे पाँव बढ़ा चुका है । 2.…

भाग-4 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श

भाग-4 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 77. यह सेवा भक्ति हमारी अपनी नही । मैंकाले महोदय की शिक्षा नीति का प्रभाव है जो गुलानी समाप्ति के बाद भी गयी नहीं ।…

भाग-3 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श

भाग-3 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 57. कहाँ तक गिनाएँ , समाज को आर्थिक रुप से उत्क्रमित करने का कार्य अपने देश में जी तोड़ चल रहा है । लीची के…

भाग-2 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श

भाग-2 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 35. अगर ठीक से हम सभी अपनी संस्कृति के रक्षा करें , उस सांस्कृतिक घरोहर को समझे तो हम भी कुरुक्षेत्र को जीत सकते हैं…

भाग-1 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श

भाग-1 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 1. अगर हम मानव समाज को शरीर की संज्ञा दे तो विविध जातियों के समूह को उसके अंग विशेष , परिवार उसके तन्तु तथा व्यक्ति…