भाग-2 राष्ट्रीय एवं वैश्विक आदर्श
भाग-2 राष्ट्रीय एवं वैश्विक आदर्श 36. जहाँ की हवा में जीवन के स्पन्दन है । 37. जहाँ की नदियों में जागरण के गीत है । 38. जहाँ का प्रमात सूर्य…
भाग-2 राष्ट्रीय एवं वैश्विक आदर्श 36. जहाँ की हवा में जीवन के स्पन्दन है । 37. जहाँ की नदियों में जागरण के गीत है । 38. जहाँ का प्रमात सूर्य…
भाग-1 राष्ट्रीय एवं वैश्विक आदर्श 1. आज मानव की सिर्फ स्थानीय ग्रामीण या सामाजिक भूमिका ही नहीं है , बल्कि वह उससे भी आगे पाँव बढ़ा चुका है । 2.…
भाग-4 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 77. यह सेवा भक्ति हमारी अपनी नही । मैंकाले महोदय की शिक्षा नीति का प्रभाव है जो गुलानी समाप्ति के बाद भी गयी नहीं ।…
भाग-3 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 57. कहाँ तक गिनाएँ , समाज को आर्थिक रुप से उत्क्रमित करने का कार्य अपने देश में जी तोड़ चल रहा है । लीची के…
भाग-2 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 35. अगर ठीक से हम सभी अपनी संस्कृति के रक्षा करें , उस सांस्कृतिक घरोहर को समझे तो हम भी कुरुक्षेत्र को जीत सकते हैं…
भाग-1 मनुष्य का सामाजिक जीवनादर्श 1. अगर हम मानव समाज को शरीर की संज्ञा दे तो विविध जातियों के समूह को उसके अंग विशेष , परिवार उसके तन्तु तथा व्यक्ति…
ASPIDOSPERMA 👉To increase oxygen in blood: Aspidosperma 15 drops in a spoonful of water 4 times daily if oxygen saturation level gets below 95 %. It is an evergreen tree…