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देश के एकहत्तरवें गणतंत्र दिवस पर हार्दिक भाव सुमन

 डा० जी० भक्त

 हम मानव है , देश के नागरिक और विश्व मानव समुदाय की एक इकाई जन शक्ति , अगर हम दृढ़तापूर्वक उसे स्वीकारें । फिर क्यों नहीं , अगर हम मानवता के भाव से विचारें तो विश्व हमारा घर हैं और हमारी सोंच जगत के लिए शक्ति ।

 आज करीब सारा विश्व ही गणतंत्र का भक्त बना हुआ हैं । राष्ट्र भक्ति के गीत हम गाते हैं जब वह दिवस सामने आता हैं सिर्फ भाव में , कदाचित वह हमारा भूषण बन पाता !

 हमारी शुभकामना है कि मानवीय आदर्शों की गुंज इस धरती पर गुंजे जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता और सकारात्मक जीवन पद्धति व्यावहारिकता की चरम ऊचाई छू पाये जिसमें शान्ति प्रगति और भातृत्व देश का भूषण बने ।

 शैक्षिक आदर्श के दो मूल मंत्र :

1. अग्रतः सकलं शास्त्रं पृष्ठतः सशरः धनु ।

2. कामये दुःख तप्तानां प्राणिनामार्त्त नाशये ।

 ये उपरोक्त रामादर्श और श्री कृष्णा पदत्त गीता के आदर्श भारतीय संस्कृति के सुमन सौरभ एक बार भारत की भूमि को ही नहीं विश्व तक के हृदय को छू पाये तो हम भारत के युवा एवं भावी पीढ़ी को मार्गदर्शन का श्रेय पाकर कृतार्थ हो पायेंगे ।

 आधुनिक जीवन में श्रीमद् भगवद्गीता निष्पत्ति और निवृति लघु पुस्तक 25 पृष्ठों में प्रकाशित आपके लिए प्रस्तुत हैं । गुगल्स पर भी अंकित हैं । यथा निर्दिष्ट उसका पाठन और अघिगमन हो । उच्च विद्यालय स्तर के आठवीं , नवमीं कक्षा के छात्र उसे पढ़कर मार्गदर्शन पाये तथा महात्मा गाँधी जी के विधानानुसार प्रतिदिन मूल गीता का एक श्लोक को याद कर जायँ तो दो वर्षों में सम्पूर्ण गीता ग्रंथ पर उनका अधिकार तत्वतः हो जायेगा जो उनके जीवनोत्कर्ष के लिए मरमौषधि या ज्ञानामृत बनकर ज्ञान भक्ति और कर्म को समुज्जवल चरित्र निमार्ण का पावन पथ निर्माण सह राष्ट्रोत्थान का संवाहक बना पायेगा ।

 इस व्रत के संधान में पूरे राष्ट्र को इस दिवस पर तपस्चर्या के रूप में संकल्पित स्वर में स्वीकार्य होना चाहिए । मैं इसी तिथि से मिताहारी जीवन जीकर इस पावन पथ पर गीता के अवगाहन में चन्द मिनट को सश्रद्धा ध्यान सहित राष्ट्र के नाम दान करने का आहान करूँगा । छात्रगण : शिक्षक समुदाय सह शिक्षित परिवार को संकल्पित होकर अपनी भावी पीढ़ी के पावन पथ दिखाने में सहायक बनने का शपथ लें ।

 भारतीय संस्कृति और दर्शन में वाणप्रस्थितियों के लिए यही धर्म हैं जिसकी अपेक्षा हम देशवासियों , गणतंत्र के पुजारियों , पुरोधाओं , प्रशासकों और गुगल परिवार से सश्रद्धया करेंगे ।

 सत्मेव जयते !

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