Fri. Dec 27th, 2024

 नव वर्ष की शुभकामनाएं !

सम्पूर्ण विश्व में राजनीति

का रोमांचक खेलचल

रहा है |लेकिन

आहान है वैश्वीकरण और उदारीकरण का |

उपभोगता बाद ओर मानवाधिकार को

जब निगलता जा रहा है तो ,शुभ

क्या औऱ कामना कैसी ?

संत मुल्क समाज में त्याग का सर्वोच्य स्थान है|सुख का साधन संग्रह करने में जुटा मानव कभी यह सोच पता है कि जो उसकी अपनी अभिलाषा है ,वह दुसरो की भी होगी ? फिर हम अपने साथ उन्हें न शामिल करे समूह का आनंद ले ,लेकिन यह तो डिस्टनसिंग का मूलमंत्र पहले लागू है |

डा ० जी ० भक्त

-: कोरोना कथा-2021 की ओर :-

 

शुभ संदेश 

 

सुंदर लगता क्षितिज धरातल 

पर्वत समतल सागर का तल |

भूतल उपवन वन -धन श्यामल

 चंचल चिंतवन जन -गण, तन मन||

 

उससे सूंदर सुधा अमरता 

शांति प्रगति तथा समरसता |

समृद्धि सद्भाव भरा जग 

प्रेम भरा व्यवहार सहजता ||

 

सबसे सुंदर सुखमय वाणी 

सदा भोजन शीतल पानी |

मान औऱ अपमान बराबर 

निगत द्वेष ,वह सच्चा ज्ञानी ||

 

विचार प्रार्थित

 

चांद को चांदनी मुबारक आसमा को सितारे मुबारक और मेरे दोस्त हमारी तरफ से नया साल मुबारक …!

क्षितिज उपाध्याय किशोर

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