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 निंदक नियरे राखिए

 अगर बिना साबुन और पानी खर्च किये स्वच्छता लानी हो , तो शिकायत करने वालों को समादृत करना ज्यादा उचित माना गय है । “

 देश में समाचार सूत्रों को स्वतंत्रता मिल चुकी । तथापि सरकार की सख्त निगरानी उन पर रहती है । समाचारों से जहा तक हम अवगत हो पाते हैं , वही हमारी सही जानकारी बनती है । स्थानीय समस्याएँ और समाचार पत्रों में आयी विविध अनियमितताएँ और कमियाँ जानकर हम अपने मानस को कितना संतुष्ट और विश्वस्त रख सकते है , उहापोह बना रहता है ।

 सम्प्रति बाहरी सूत्रे से आये समाचार अगर हमारे हृदय को हिलाने वाले होते हैं तो ज्ञान और समाधान को दो विपरीत ध्रवों पर पाकर हमारी स्थिति कैसी बनती है , यह विचारणीय अवश्य है । कोरोना की लड़ाई के शस्त्रास्त्र रुप दवा , वैक्सिन और ऑक्सीजन की अपर्याप्तता या अनुपलब्धता । बधता पर आप क्या विकल्प सोचे ।

 आज समाज को उन विश्वासों को अपनी औषधी में सम्मिलित करने की जरुरत है , जिनकी सफल झाँकी होमियोपैथी में मिलती है । कोरोना की हिट को शीतलता प्रदान करने में अगर ऑक्सीजन की कमी किसी भी तरह से मानवता की छति ला सकती है तो होमियोपैथी का “ कार्बोवेज ” 200 या 1M ( आवश्यक सलाह के साथ ) एवं “ एस्पिडियोस्पर्मा ” का व्यवहार अवश्य करें । ये दवाएँ परीक्षित एवं संसिद्ध है ।

डा ० जी ० भक्त

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