प्रधानमंत्री जी की मंत्रणा कोरोना का खेल और चिकित्सा का नकेल , कब तक चलेगा यह खेल ?
भारत की भव्यता का आज वैसे गुणगान चल रहा है जैसे कलियुग में महायज्ञों की श्रृंखला टूट नहीं रही । ऐसा त्रेता में हुआ करता था । अन्तर इनता ही है कि हम अपने मन की बात को ही मान्यता देते हैं ।
” मन एव मनुष्यानां कारणम्मोक्ष बंधयों “
मन तो मोक्ष दिलाने का चिन्तन करता है किन्तु मनोरथों का जाल उसे बन्धनों में डालता है । मन के सथ बुद्धि और विवेककासंबल ज्ञान से जबतक न जुड़ पाता , जीवन का लक्ष्य सिद्ध नहीं हो पाता । जीवन में सामन्जस्य बैठाने की एक कला होती है । राज्य या देश का स्वतंत्र होना मान्य हो सकता किन्तु व्यावहारिक रुप में जनतंत्रात्मक व्यवस्था संविधान में जकड़ कर मानव के लिए परतंत्रता ही लक्षित होती है । यह तब सफलता का श्रेय सार्थक कर पायेगा . जब मजबूत जनमत के नेतृत्व में नैतिकता परिलक्षित हो ।
धरती पर मानव का अस्तित्त्व स्थायित्व न पा सका तो योजनाओं और मंत्रणाओं का खोखलापन कभी ठोस रूप नहीं ले पाता । आज हम वैश्विक धरातल पर खड़े हैं । कोरोना विश्व को चिन्तित कर रखा है । हम भारत शब्द को संवारते है लेकिन तंत्र लड़खड़ाता नजर आता है जब हमारा ध्यान समाचारों पर जाता है । जहाँ हमारा मानस चिन्तनों में बँटा हो , वहाँ हम मन को वचन और कर्म से कहाँ तक जोड़ पायेंगे । इस वैश्विक विभीषिका में चिकित्सा और उसकी व्यवस्था विफल रही । कारगर विकल्प निकाल पाने में हमारी समृद्धि कोई उपलब्धि न दिखा पायी । चौबीसों घंटे निडिया द्वारा माला जाप का क्या लाभ ? जहाँ हमें कोरोना से निकल पाना एक समस्या का समाधान सुझाना भर नहीं . व्यावहारिक कठिनाइयों का जाल बिछाता जा रहा है । जहाँ जनता एक मोदी जी की बात सुनकर धीरज के साथ कोरोना का युद्ध लड़ रहा है तो जनता की अपार संख्या के बीच से अगर कोई निदानात्मक सुझाव देश को मिल रहा हो तो उसे सुनकर उस पर प्रयोग का विधान करने में क्या कष्ट है ? माननीय मंत्री जी और मिडिया न सुनें तो देश के कान में आवाज कैसे पहुँचेगी . या पहुँचेगी तो उसकी प्रक्रिया में कितने समय लगेंगे , तब तक कितने को कोरोना काल कवलित कर लेगा । ऐसा कहते हुए कितना बुरा लगेगा कि कहीं विश्व की शक्तियाँ समन्वित रुप से जनसंख्या नियंत्रण में जुटी हुयी है ।
अगर मेरा आग्रह है “ कोरोना संक्रमण के नियंत्रण एवं निदान में होमियोपैथी की हिप्पोजेनियम दवा की सम्भावना बनती है । इसे W.H.O. , आयुष , L.M.H.I , H.M.A.I अथवा स्वास्थ्य विभाग CCRH द्वारा इसकी प्रयोजनीयता को कोरोना -19 के रोगियों पर परीक्षण में सफल पायें तो विश्व में मानव के कल्याण में सहयोगी बनें । अगर विफल भी हुए तो इस प्रयास से भी उन्हें यश प्राप्त होगा ।
” यह भी उल्लेखनीय है कि बिना सत्यापित किये हुए अपने देश में धड़ल्ले से आर्सेनिक एक्च 30 शक्ति , कैन्फर , तथा अन्य कई दवाएँ दूकानों में बिक रही है तथा प्रयोग में लाये जा रहें । इस पर भी सभी चुप है जो अपेक्षित नहीं लगती । झारखण्ड के आयुष सचिव द्वारा साइट पर आर्सेनिक के प्रयोग का निर्देश दिया गया है उसका भी CCRH द्वारा प्रामाणित पाया जाने पर ही प्रयोग अपेक्षित होगा ।
विचारणीय है कि उस अवसर पर सत्य को ठुकराया गया और मानवता पर खतरे का कहर चलता रहा तो भविष्य का इतिहास क्या कहेगा ? अवश्य ही देश को झेलना होगा ।
यह समय संवेदित होने का है । मानवता के मूल्य को समझना ही मानव धर्म है । पल में प्रलय होता है ।
डा ० जी ० भक्त