बार-बार कोरोना संक्रमण में तेजी और बढ़ोतरी पर होमियोपैथी
डा० जी० भक्त
ऐसे तो इसके छिटपुट संक्रमण अबतक रुक नही पाये। इसके संबंध में चर्चायें होती ही रहती है। कुछ अन्य प्रकार की बीमारियों (लक्षणों) के संबंध में रोगियों की शिकायत इस भाषा में सुनी जाती रही है कि कोरोना कारण के ही समय से ये लक्षण बार-बार परेशान करते आ रहे है। ऐसा होना सम्भव भी है। ऐसे विषय जन मानस से उठते है। स्वास्थ्य विभाग रोग के नामकरण के साथ सरकारी स्तर से आते है। होमियोपैथ चुप रहते हैं। उन्हें सोचना, शोध करना, वैचारिक रुप से चर्चा कर निर्णय लेना, ऐसा कुछ नही सुना जाता न ध्यान ही दिया जा रहा किन्तु विश्व में दूसरी चिकित्सा प्रणाली कही जाने वाली पद्धति जो सचमुच आरोग्य की दिशा और क्षेत्र में गौरवशाली सिद्ध हो पायी उसकी भूमिका भी प्रयोग में आनी चाहिए।
सर्व लक्षण सम्पन्न धरातल पर रोग के मूल कारणों पर आधारित होमियोपैथिक चिकित्सकों द्वारा जन सेवा प्रचलन में कारगर है। बहुतेरे एलोपैथगण भी उसका लाभ लेना प्रारंभ कर चुके है। सरकार इसे महत्व नहीं दे रही। आयुष विभाग की क्या सोच है कह नही सकता किन्तु मेरा विचार सदा से कायम है आर होमियापैथी के प्रति जीवन को जोड़ चुका हूँ। मैं पुनः (अगर ऐसा समय आता है तब) अपनी विचारधारा साझा करने से पीछे नही रहना चाहता।
ऐलोपैथी अपनी प्रणाली के शरीर क्रिया विज्ञान के विस्तृत आयाम पर उतर कर भी स्वीकार करती रही कि उनकी दवाएँ डायग्नोसिस पर उतर कर चलती है। यह सर्जरी के लिए ठीक है किन्तु थेराप्यटिक क्षेत्र में लक्षण (शारीरिक एवं मानसिक) ही प्रमुखता रखकर कार्य करती है। उनका अबतक न वैक्सिन निकल पाया न क्योरंटिव दवा। क्लिनिकल थेराप्याटिक्स लक्षण प्रधान है। साथ ही मानव पर परीक्षण कर उसका प्रयोग अबतक नहीं हुआ। दवाएँ अपना दूरस्थ प्रभाव भी लाती है। रोग क्रौनिक अवस्था में कई प्रकार की दवाओं रोगों और प्रयोगों के प्रभाव में जटिल होती जा रही। बताइए आप जीतनी महामारियाँ जीवन में पाये, उनके वैक्सिन चलाकर जीवनी शक्ति को जगायें तो जीवन भर वैक्सिन के ताँता लगे और कितनी बार जीवनी शक्ति को विविध रोग विषों के दोषनाशक प्रयोग चलाकर अपने आपको वैज्ञानिक बताते रहेंगे। मानव चेतन जीव है। उसके मानसिक अनुभव में रोगी जिस तरह कष्टों का आख्यान बताता है उसे ध्यान में लाकर दवा की क्लिनिकल तुलना के साथ अपने थेराप्युटिक प्रणाली पर उतरें जैसा आप अपनी सोनोग्राफी रिपोर्ट में सचेत किया है जिसका पालन सर्वथा जरुरी है।
मैंने कोरोना (19) काल में होमियोपैथी की हिप्पोजेनीनम दवा (200 शक्ति) की 30 नम्बर की गोलियों को 5 ml की शीशी में 6 बूँद डालकर तैयार कर उसकी चार गोलियाँ ही एक बार सप्ताह में व्यवहार कर ले जबतक संक्रमण जारी रहे तबतक। चिकित्सा के रुप में उसी दवा की छः गालियाँ पानी में (आधा कप में) घोलकर 2-2 चम्मच दिनभर में चार बार चलाया करें। लक्षणानुसार अन्य दवा भी दी जा सकती है। ऐसा निदेश गुगल्स के माध्यम से डा० जी० भक्त अपनी रुचि जतायी थी। धन्यवाद !