Thu. Mar 13th, 2025

भयंकर होता है वाइरस

 डा . जी . भक्त

वाइरस की भयंकरता का अनुमान आज पूरी तरह लगाया जा सकता है जब पूरे विश्व को उससे उत्पन्न विपत्ति का प्रभाव देखने को मिला | एक समय था जब चेचक भी विश्व को झेलना पड़ा रहा था जो लगातार चलता रहा | वह ऐसा दुष्प्रभाव दिखाया जिससे मृत्यु से लेकर आँख से अँधा तक हो जाया करता था । शारीरिक अंगों पर भी स्थाई प्रभाव छोड़ जाता था | चेहरा विद्रुप हो जाता था | आँख आना , कान से बहरा होना , संतान हीनता तक भी | डा . हनीमैन महोदय ने चेचक के दुष्प्रभाव को समाप्त करने हेतु जीवन में कभी भी , जब उसका संक्रमण झेलने वालों को रोग कष्टसाध्य होता था तो वैरियोलिनम , मेलानड्रिनाम , वैक्सिनीनम जैसी नोसोड दवा चलाकर पल्सेटीला , सैइलीसिया , सारासीनिया के प्रयोग से भी कल्याण करते थे | आज भी हम इन सब का प्रयोग किया करते हैं ।
 डा . जेनर महोदय ने उसके लिए टीका निकाला , जो चेचक ( स्मॉल पौक्स ) की समाप्ति कर पाया किंतु उसका कुफल भी ध्यान देने योग्य है ।
 हनीमैन महोदय ने अपने अनुभव में पाया की उस टीका से एक प्रकार का प्रभाव जो होमेयोपैथी में सायकोसिस दोष से तुलना रखती थी , उसके लिए एंटीसाइकोटिक दवा ” थूजा ” को उसके निवारणार्थ सफल पाया | आज असाध्य रोगों की चिकित्सा में थूजा के प्रयोग की सफलता से रोग पूर्ण आरोग्यता पाता है । यहाँ तक की चेचक होने या चेचक के टीका के दुष्परिणाम से ऐसे स्थूल विकार ( सर्जिकल रोग ) उत्पन्न होते हैं जिनका निराकरण थूजा से सफलतापूर्वक होता है | सामान्यतया आप पाते हैं की वॉर्ट्स ( मरसों ) का इलाज थूजा , कास्टिकाम , एसिड नाइट्रिक , डालकभरा , लायकोड़ियम , एंटिमऊंड आदि दवाओं से ( बिना सर्जरी किए ) किया जाता है ।
 पूर्व के लेख में मैने स्पष्टत : बलताया है की कोरोना के संक्रमण पश्चात उससे बचकर निकलने वालों पर भी दूरगामी प्रभाव देखे जा सकते हैं एवम् हमें उसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता पड़ेगी |
 यहाँ से कोरोना के संक्रमण की समाप्ति की घोषणा के बाद भी उसका पुनराक्रमण सिद्ध करता है की इसकी भयावहता की संभावना पर हमें फिर से जंग करना ही पड़ेगा |
 इसकी जगह प्रतिषेधक दवा के रूप में हिप्पोजेनियम , वैसीलिनम , एवियारी , एंटिम टार्ट आदि को प्रयोग में लाया जाता या उन दवाओं से इलाज किया जाता जैसाकि मैने आयुष के सचिव महोदय से आग्रह किया था किंतु उन्होंने धन्यवाद मात्र देकर इसका निपटारा तो कर लिया किंतु सकारात्मक कदम उठाने से अपने को दूर रखा | तथापि वह समय आना दूर नहीं जब हमें विचारने पर बाध्य होना पड़ेगा | जब आज इसके निदान में दवाएँ सहायक न उतर पाई तो भावी दुष्परिणामों के लिए जो तैयारी के निर्देश W . H . O . आदि द्वारा दिए जा रहे हैं , कहाँ तक कारगर हो पाएँगे ? फिर भी हम ज़रूर आशावर हों , की आवश्यकता आविष्कार की जननी है | प्रयास करना होगा |
 ऐसे में जिन्हें सर्दी का बार – बार आक्रमण देखा जाए , उन्हें थूजा या बैसीलियम अवश्य दिया जाना चाहिए | शक्ति 200 | लंबे अंतराल पर | एक ही खुराक दें । बीमारी छूटने पर उसी दवा की एक और खुराक देकर छोड़ दें ।