Sat. Dec 21st, 2024

राजनीति के उत्कृष्ट आयाम

  1.  राज सत्ता या जनसत्ता दोनों में से कोई भी जनाकांक्षाओं का पोषक अवश्य हो , साथ ही संस्कृति का पालनकर्ता भी ।
  2.  रानीति की प्रखरता और मुखरता में सम्भावना तलाश अधूरी ही रहेगी । विश्वसनीयता का प्रमाण ही जनतंत्र की सही दिशा पायेगी ।
  3.  सारे गत्यात्मक और भावात्मक आवेग परिवर्तन के ही लक्ष्य लिए होते हैं , किन्तु बदलाव की रचनात्मकता और सकारात्मकता ही सर्वथा ग्राम है ।
  4.  जनतंत्र में सफल नेतृत्व के लिए निम्न बातों का होना महत्त्वपूर्ण है : – मतदाता का जागरुक होना , नेता में अपेक्षित योग्यता की पहचान तथा राष्ट्रीय एवं स्थानीय मुद्दों पर आधारित निर्णय ।
  5.  सकारात्मक बदलाव ही मतदान का परम लक्ष्य होना चाहिए ।
  6.  नकारात्मक गतिविधियाँ , जिम्मेदारियों से हटकर विपरीत दिशा देना और जन आकांक्षाओं की अवहेलना कभी विकास ला सकती है ? यह तो विनाश का आमंत्रण है ।
  7.  नागरिकों का आशा – निराशा के खेल में जनतंत्र का स्वर्णिम अवसर गवाना ही विनाशकारी परिणाम ला सकता है । उन्हें निर्णायक सम्भावना की तलाश और विकास के आयाम ढूढ़ने चाहिए । इस दिशा में एक जुट होना ही जनतांत्रिक समस्त दोषों का अन्त और सुदृढ़ जनतंत्र की स्थापना का मूल मंत्र साबित हो सकता है ।
  8.  जीवन के क्षेत्र में जीत एक पुरस्कार है । उस साधना का , जो जनमंगल के रुप में चरितार्थ होता है , तदनुरुप ही हम जनतंत्र में जनमत की आशा रख सकते हैं ।
  9.  जब कोई कर्म स्व के हितार्थ सम्पन्न होता है तो वह प्रेयभार्गी उपलब्धि होती है । जब वह ज्ञान के आश्रय से होता है तो अनुभूति देता है और श्रेय मार्गी कहलाता राजनैतिक हित का श्रेय नेता को प्राप्त होता है । वह जीवन में अमरत्व प्राप्त करता है ।

 ” ! कुलं पवित्रं जननी कृतार्था , वसुन्धरा पुण्यवती च तेन ! “

10. दूसरों को उपदेश देना आसान है , स्वयं निर्वाह करना कठिन । कठिन को सहज बना देना ही सफल नेतृत्व का मानक साबित हो सकता है ।
11.  सुखी रहना या होना जीवन का अभिप्राय होना ही चाहिए । इससे बढ़कर दूसरों को सुख पहुँचाना या सुखी पाकर प्रसन्न होना उच्चतर भाव है । नेतृत्व पाकर स्वयं सुखी होना और देश के असंख्य दुखियों के लिए सुख का मार्ग दिखाना क्या श्रेयस्कर होगा ? यह आपके विवेक , चेतना और दायित्व पर निर्भर करता है । इस तरह राजनीति में नेता की जिम्मेदारियाँ असीम है ।
 उपरोक्त सन्दर्भ मेरी राजनैतिक अवधारणा नहीं , पाठकों तथा युवा पीढ़ियों में नेतृत्व का मार्गदर्शन करने के लिए शैक्षिक अभिव्यक्ति है ।
 मैं कहता हूँ : – दुनियाँ वालों , भारतवासियों , किसानों , मजदूरों , शिक्षकों , चिकित्सक . व्यावसायी वर्ग , सरकारी पदाधिकारीगण , कर्मचारी और नेतागण आज की रात नींद भार सो लें । कल प्रातः संकल्प लें और एक बार फिर कोरोना का समल निराकरण कर उस धरती को शान्ति , प्रगति और समरसता से भरने में जुट जाएँ । 2020 का अमर इतिहास लिख जाएँ ।

( डा ० जी ० भक्त )

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