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वर्तमान परिदृश्य में लॉकडाउन की अहमियत और समस्याओं की
 – : श्रृंखला : – 
डा0 जी 0 भक्त

 इस वैज्ञानिक युग में मेडिकल साइंस के प्रति विचारना होगा कि उनकी चिकित्सा प्रणाली जहाँ तक विकास का दावा करती है वह सचमुच आरोग्य ला रही है ? रोग घटे ह या वे बढ़ते नजर आ रहे हैं ? हॉस्पीटलों का बढ़ना , उन सबों में भीड़ लगना क्या संदेश देता है कि रोग आरोग्य हो रहा है या रोगों में इजाफा हो रहा है ? मेडिकल साईंस की पढ़ाई पर लोगों का रुझान जनता के दुखों के प्रति उनकी अटूट सेवा के प्रतीत बन रहे है या उसमे रोग बढ़न और भीड़ जमा होने से अच्छी कमाई की लालसा मात्र है ? इसका क्या अर्थ लगाया जा सकता है कि विश्व में कहीं भी कोरोना की रोक – थाम या उपचार के लिए कोई दवा अबतक नहीं है ?
 खुशी की बात हैं कि दुनिया हर प्रकार से जागरुक है । इसपर विश्व की व्यवस्था सेवा के लिए प्रतिवद्ध है । परेशान भी और सेवा देकर कुल नही तो कुछ को तो स्वस्थ कर पा रही है । सोचने की बात है कि दवा के अभाव को माने या जो दवाएँ चलाई जा रही है उनकी आरोग्यवत्ता स्वाकारी जाय या उन्हें खारिज इसलिए कर दिया जाय कि उनका प्रतिशत संतोष जनक न रहा । उस जगह अन्य प्रकार के उपचार जो अपनाये गये उनके द्वारा ही रोगी कुछ चंगा हो पाये । इस दिशा में उन देशों की व्यवस्था , तौर – तरीका जीवन शैली , भौगोलिक दशा , वातावरण आदि उनके पोषक या वाधक बन रहे हों ?
 जो हो , हम यह खुलकर कह सकते हैं कि देशान्तरण , स्थानान्तरण , आवगमन – प्रत्यागमन , सम्पर्क एवं पलायन के कारण नियंत्रण में नहीं आ रहे । इस दिशा में संक्रामक रोगोंपर नियंत्रण के प्रचलित विधानों के साथ ” लॉकडाउन ” को सर्वाधिक महत्त्व प्राप्त हुआ है तथापि रोगियों की संख्या का बढ़ना , रुक नहीं पाना और लॉकडाउन का लम्बा समय लेना एक समस्या खड़ी कर रही है कि यह कब तक चलता रहेगा और उन से उपज रही समस्याओं का निदान किस प्रकार हो पायेगा ।
 अर्थवयवस्था को बिगड़ने का ख्याल सरकारों के लिए सिर दर्द बना है तो जनता भी ऊब रही है । इस प्रकार उनकी कैबिनेट लगातार और बार – बार इस बिन्दु पर नीति निमाण करती और घोषणायें लाती है जो सकारात्मक लगती भी हो तो दूरगामी होगी और सीटी शमसान बन जायेगी ।
 मेरा एक गम्भीर प्रश्न है कि विश्व की सरकारें विश्व स्वास्थ्य संगठन से क्यों नहीं पूछती कि ये तथाकथिन चिकित्सा की प्रणालियाँ किस चुनौती के सुलझान की क्षमता रखती है जिसका उन्हें गौरव है ? अथवा अपनी जिम्मेदारी से अलग क्यों न हो जाती ? अथवा उन्हें असमर्थता पर विचार करने का निदश क्यों न दिया जा रहा ? पद पाये है तो पराक्रम दिखायें ।

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