विवादों में जीवन की खोज ? अथवा विवादों में फंसा कोरोना का जंग
डा ० जी ० भक्त
कदापि हम अपनी विवसता नहीं कह सकते । यह हमारा मानसिक भटकाव है जो शिक्षा , ज्ञान , विवेक , कार्यानुभव और सारे ससाधन के रहते भी हम सत्य से परे किसी अनमोल रत्न की तलाश में अपना बहुमूल्य समय व्यतीत करते हुए चिन्ता के दोहरे चरण से जुड कर एक तो हो सकते नहीं , तो ……. .बस माया मिली न राम !
यह है विडम्वना जिसमें अनागत को लक्ष्य मानते हुए प्रत्यक्ष से जब कुछ क्षण मुँह मोड़ अपने निहित स्वार्थ को मन में छिपाये फिरते हैं तो एकता , समरसा और शान्ति का वातावरण कैसे बन पायेगा । विश्व के सभी देश अपने आप को महाशक्ति के रुप मे निखारने का उद्यम अपनाने लगे तो दीनों का दुख देखने वाला कौन होगा । संग्रह , मिलावट , चोरी , जमा खोरी , मुनाफा खोरी , कालाबाजारी प्रोन्नति पाये , कोई विरोध न करे तो उसका संरक्षक विश्व ही न करेगा तो उसका फल क्या होगा ?
वैचारिक जगत में सुधार के प्रस्ताव आयेंगे । सुनने में अच्छा लगेगा । आशा की किरण जगेगी । समाज को संगठित किया जायेगा क्या वे सब अपने हृदय में बसाये उन अरमानों को त्याग कर मिलेंगे ? अगर ऐसा हुआ होता तो अपराध घटता , गरीबी घटती , स्वस्थता आतो , प्रेम पनपता हर क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होगी ही । छल को छोड़ कर जो आगे आयेगा उसकी पहचान कैसे होगी कि विश्व उसका साथ दे । यही सब कारण है कि जनतंत्र में जंग लगता जा रहा है । सत्ता में प्रवेश का अच्छा मार्ग गठबन्धन है किन्तु छल प्रपंच का बाजार ठंढ़ा हो तब ता । ये दोहरे मानस को दिल से हटाने की कौन – सी दवा होगी । हमारा इतिहास सुसंस्कृति और सुसभ्यता का संरक्षक है तो अपराधों कुमंत्रणाओं की श्रृंखला का आख्यान भी तो उसी में भरा है ।
यह अच्छा है कि हम प्रतीक्षा में रहे कि वैक्सिन आ रहा है । तब तक टेन्डर हो चुका , याचिका भी दाय …….. | सुनवायी जारी है संक्रमण का घटना – वढ़ना तो बाजार भाव पर चलता है उसकी मांग और आपूर्ति का कोई अन्य विधान छोड़े है । सभी माहिर है अपने अपने क्षेत्र में । सुरक्षा तंत्र भी तो पहले अपनी सुरक्षा संरक्षित कर ले । टीका पहले उन्ही को पड़गा जो लाइन में खड़े है । लेकिन …….. सुना कि उनमें भी संक्रमण आया और उनमें से भी मर रहे । हरि अनतं हरि कथा अनंता ।
हमने प्रकृति को प्रदूषित किया तो कोरोना आया । हमारे बने ? जब धन पर कुछ गिने चुने का एकाधिकार आयेगा । उधांग , व्यवसाय स्मार्ट रुप लेगा । मेगा बाजार खुलेगा । इलाज नहीं होगा । एक मुस्त वैक्सिन आयेगा । उसकी कीमत बड़ी होगी । सरकार उस पर उदार बनेगी तो लाभ किसे होगा …. ? इस पर सुपरिम कोर्ट विचार करेगा । आम जनता तो लॉकडाउन । जब तक कमाकर पैसे जुटाएँ तब तक बाजार बंद ।
डिस्टेंसन बनाये रखिए ।
किन्तु आशा रखिए । अब चेतना जग रही है । विचारक अब सलाह देने लगे है । लेकिन हमारे देश में तलखो से काम नहीं होता । शान्ति से .. शान्ति बनाएँ रखिये ।
कही हम लुट न जाये !
डा ० सम्युएल हनिमैन साहब ने होमियोपैथी का शस्त्र बड़ा कारगर निकाला । रैपिड , जेन्टिल और परमानेन्ट क्योर ( 1 ) सस्ती , सुलभ और निरापद ( 2 ) बचाव , इलाज और स्वास्थ्य भी संरक्षित ( 3 ) रोग ही नहीं मिटेगा , मानसिक चिन्ता भी घटेगी , रोग भी जड़ से मिटेगा ( 4 ) स्वस्थ कुशल और कुंठा से मुक्त । ( 5 ) दुनियाँ को भ्रम है- ( 1 ) मात्र एक ही दवा ( 2 ) छोटी शीशी ( 3 ) अति सूक्ष्म डोज , कितना मुनाफा होगा ? ( 4 ) व्यवसाय चौपट ! नहीं , नही . ( 5 ) आरोग्य धन ! बड़ा धन होमियोपैथी अपनाइए ? कोरोना का दुश्मन क्यों ? मानव का हितैषी है होमियोपैथी । इसका भी साथ , एक मजबूत हाथ ।
Dr. G. Bhakta |