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हनिमैन जयन्ती आज का उत्सव नहीं , होमियोपैथ के लिए आत्मचिन्तन का व्रत बनें ।

विश्व के होमियोपैथ समुदाय आगे आयें ।

डा० जी० भक्त

अब तक चिकित्सा जगत में जिन स्वास्थ्य रक्षा के नियमों प्रचलनों के ज्ञानात्मक विधान का व्यावहारिक जीवन में कल्याणकारी प्रभाव पाया गया , सुखद और संतोषप्रद देखा गया । तथापि ज्ञान की अपूर्णता या अपरिपक्वता से कर्म दोष एवं गुण दोष से अकल्याण सिद्ध होना अमान्य नही हो सकता । अतः प्रयोगकर्ता को कालान्तर में प्रकारान्तर से दोष निरुपन और कर्म शुद्धि का सिद्धान्त प्रतिपादन सम्भव होना भी उचित प्रतीत हुआ और लगभग 1700 वर्षों के बाद स्वयं हनिमैन महोदय ने प्रमाणित दोष पाया कि एलोपैथी रोग शामक चिकित्सा पद्धति है , आरोग्यकारी नही । यह काल विशेष के अन्तराल में पुनः जटिल परिवर्तित और कष्ट साध्य रुप में प्रकट होता है । उन्होंने इसके सुधार और निस्तार का अनुसंधान कर एक आरोग्यकारी चिकित्सा व्यवस्था प्रस्तुत की Rapid , Gentle and Permanent cure .

आधुनिक युग की वैज्ञानिक क्रान्ति के साथ होमियोपैथी का पदागमन विश्व के समक्ष एक मानवतावादी प्रयास सिद्ध हुआ । आज हम उसके सिद्धान्त को तोड़ रहे है । उसे नवोदित होमियोपैथ घायल कर उसकी समरसता समाप्त करने पर लगे है और उन्हीं के सहयोग से महात्मा हनिमैन की जयन्ती मनाना कहा तक स्वीकार्य माना जाय । सच्चाई इसमें परिलक्षित होती है कि हम उनकी जयन्ती उनके सिद्धान्तों और प्रयोगों की शुचिता को मानवता के हितार्थ विस्तार प्रदान करें । विश्व के हित – चिनतक डा ० हनिमैन ने अपनी खोज पर एक दूरगामी सम्भावना का खुलासा किया कि हम इसे मानव जीवन के ऊँचे से ऊँचे लक्ष्यों को पाने की दिशा में ले जा सकते हैं । ऐसी परिकल्पनाओं को साबित कर दिखाना उनके अनुयायियों को विश्व के सामने सिद्ध कर ही उनकी श्रद्धांजलि प्रस्तुत कर सकते हैं ।

आज जब हम अपने को कमजोर बना डाले हैं । अनीति , अव्यवस्था , प्रतिकूलता और अर्थ वादिता की सड़क पर उतर कर मानवता का हनन करने पर उतर चुके है तो महात्मा बुद्ध , महावीर आदि महान आत्माओं का नाम लेकर अपनी लज्जा को धोने से पूर्व सोच नहीं पा रहे कि होमियोपैथी को वे ऊँचाई पर बिठाने के बदले गहराई में डूबाने में सहयोगी बन रहे हैं ।

सम्प्रति होमियोपैथों को इसे कोरोना काल में अपने सद्प्रयासों से जंग जीतना चाहिये था कि हनिमैन की आत्मा को शान्ति मिल पायें । आज कोरोना का चौथा वैरिएण्ट या म्युटेटेड फौर्म माने , सामने संकट ला रहा है और आगे भी लाता रहेगा । यहाँ पर हनिमैन द्वारा पतिपादित और संसिद्ध विधान को लागू कर होमियोपैथी की मर्यादा स्थापित की जा सकती है जो 10 फरवरी 2022 को हम करना चाहते है । जय होमियोपैथी !

जय जगत !! जय हनिमैन !!!!

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