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हर इन्सान के लिए समाज के दुर्दिनों में सहायक बनना आवश्यक है ।

हर इन्सान के लिए समाज के दुर्दिनों में सहायक बनना आवश्यक है । It is necessary for every human being to be helpful in the times of society. Dr. G. Bhakta
आज माना जाय तो 20 मार्च के प्रधान मंत्री महोदय द्वारा सम्बोधन के उपरान्त जो कोविद -19 के संक्रमण का विकास होता गया , सरकारी व्यवस्था की प्रक्रिया एवं सहायता , जहाँ तक सम्भव हो रही , परिणाम जो सामने आया , सारी बातें सामने है । किन्तु आज समय आ गया जब ग्रामीण स्तर तक के सरकारी ( एलोपैथिक ) चिकित्सा केन्द्र एवं क्लिनिक की सहायता की अपेक्षा महसूस हुयी जो आवश्यक था , एवं उनका कर्त्तव्य भी बनता था । साबित भी हो चला कि इनमें से कोई न बड़ा रहा न छोटा है ।
एक बात है कि सरकारी व्यवस्था में ” आयुष ” भी आज सरकारी सेवा देने वाली एक संकुल संस्था है । उनके घटकों से भी अपेक्षित मदद लेनी चाहिए । यह विश्व जानता है कि होमियोपैथी दुनियाँ में दूसरी बड़ी वैकल्पिक प्रणाली है । उसने अपने क्षेत्र में कई औषधियों द्वारा विविध स्थानों राज्यों में इम्यूनिटी बढ़ाने की दृष्टि से अपनी जानकारी के अनुकूल पहल की है । कोई आर्सेनिक एल्ब नामक दवा का प्रयोग किया तो को कैम्फर । मैंने सुना कि इन्होंने अपनी दवा के प्रयोग एवं लाभ के प्रमाण का दवा भी किया है । उसकी ही तो जरुरत थी । मैंने भी हिप्पोजेनियम को इसकी प्रिवेन्टिव एवं क्योरेटिव रुप में दिये जाने की सम्भावना पर जोड़ दिया , प्रयोग भी किया । उसके संबंध में पहले ही विभागों को सूचित करते हुए अनुरोध किया कि CCRH द्वारा इस दवा का परीक्षण कोरोना केन्द्रों के रोगियों तथा अपने रिसर्च यूनिट द्वारा मास इनौकुलेशन चलाकर उसकी उपयोगिता को प्रमाणित पाये जाने पर उसके प्रचलन पर अपना वयक्थ्य देकर जन समुदाय का कल्याण किया जाय किन्तु इन बिन्दुओं पर अब तक उपर से कुछ भी नही बोला गया । न सूचित करने वालों पर कोई प्रतिक्रिया आयी न धन्यवाद ही , न ऐसा कही कहा गया कि अमुक की ओर समुदाय में निजी स्तर से कुछ सेवा के स्वर सुने गये हैं ।
तथापि देश के लिए हमारा कुछ कर्त्तव्य बनता है उस लिहाजा मैं पुनः अपनी भावना दुहाराना चाहता हूँ कि सरकार उपरोक्त विषय को जनहित में कोरोना की लड़ाई के ही सन्दर्भ में परीक्षण करवाली जाय । तब तक कोरोना के संक्रमित होने की शंका वाले रोगी अगर किसी अनुभवी एवं सुयोग्य चिकित्सक से मिले तो निम्न दवाओं का लक्षण समष्टि के आधार पर उपचार कर सकते हैं ।
कोरोना ( Covid – 19 ) के प्रिवेन्टिव के लिए हिप्पोजेनियम 200 शक्ति की दवा को 20 नम्बर गोली में तैयार कर उसकी छ : गोलियाँ आधा कप पानी में गलाकर उसकी दो चम्मच की खुराक प्रति व्यक्ति सप्ताह में एकबार , छोटे बच्चे के लिए एक ही चम्मच व्यवहार किया जाय । संक्रमित रोगियों को सर्व प्रथम उसी दवा को उपरोक्त तरीका से तैयार घोल को दो – दो घटे पर दो चम्मच हर रोगी को दिया जाय लाभ दिखाई पड़ने पर खुराक घटायी जा सकती है ।

सहायक दवाएँ :-

उपरोक्त सुझाव में जो दवा प्रियेन्टिय एवं इलाज दोनों के लिए एक ही दवा बतायी गयी ऐसा प्रयोग जेनियस एपिडेमिकस ( खास लक्षणों पर विशिष्ट दवा के रुप में निर्धारित )
माना गया । किन्तु होमियोपैथिक सिद्धान्त में हर रोगी एक दूसरे से लक्षणों में अन्तर रखता है । वैसी दशा में हर संक्रमित या सम्भावित अथवा साम्यन्य रेस्पिरेटरी सिस्टम के लक्षण प्रकट होने पर उनके उपचार में निर्दिष्ट लक्षणों के आधार पर दवा का प्रयोग इस कोरोना की लड़ाई को आसान कर देने वाला साबित हो सकता है । उस मार्ग की सारी जटिलता सरल बन जायेगी ।

दवाओं के नाम :-

 एकोनाइट , आर्स आयोड , आर्सेनिक एल्य , बेला डोना , ब्रायोनिया , डल्कामारा , यूफ्रेसिया , एलियम सिपा , जेलसिमियम , हिपरसल्फ , इतिकाक , काली कार्य , इन्टिम टार्ट , एन्टिम आर्स , नक्सवोमिका , कार्यों वेज , फास्फोरस , नेट्रमम्यूर , ओसिमम , सैन्टम , कैन्फर , स्सटक्स , सैवाडिला , कैस्टिकम , सैम्बुकस , एमोन कार्व , ड्रोसेरा , ररालिया , कोक्कस कैक्टाई , नौस्थिलिनम , पटुसिन , स्कुइला , वर्वेस्कम इत्यादि ।

वयोकेमिक दवा :-

 फेरम फॉस- ज्वर के साथ ,
 कालीम्युर – पतली सर्दी के साथ खाँसी
 नेट्रम सलम – ठंढ के प्रति असहिष्सुता , ढीली खाँसी हाथ पैर ठंढे असहिष्सुता
 नेट्रमम्युर – सिर दर्द के साथ

उपरोक्त दवाओं के संक्षिप्त लक्षण से रोगी की चिकित्सा सम्भव है :-

एकोनाइट :-

पूर्वी सूखी हवा के झोंके से आयी सर्दी के साथ जब उच्च ज्वर , वेचैनी , मृत्यु भय और तीव्र व्यास पायी जाय तब रोग की उक्त दशा में एकोनाइट का प्रयोग अनिवार्य होगा । इस तीव्र अवस्था के घटते ही लक्षणनुसार जेलसिनियम कालीम्यूर या ब्रायोनिया पर सोचना चाहिए ।

आर्सेनिक एल्य :-

रोग की तीव्र अवस्था में आर्सेनिक के निम्न लक्षण पाये जाते है । शरीर में तीव्र जलन के साथ सर्दी , उच्च ज्वर , जल्दी – जल्दी थोड़ा पानी मात्र जलन मिटाने भर की चाह , जलन से बेचैनी , पेट मे पानी पहुँचने अन्दर गर्म होकर के हो जाना , फिर जलन की तेजी और रोगी की कमजोर दशा दिखाई पड़ना । ऐसी अवस्था में अगर दवा दे दी जाय तो आराम मिल भी जाए तो दवा की दूसरी खुराक का प्रयोग नहीं किया जाता । इसकी कमजोरी बढ़ती जाती है । डा ० केण्ट महोदय ने ऐसी जगह पर नयी बीमारी में आर्सेनिक चलाने से रोकते है । रोग की अति गम्भीर दशा में जब वह मरनासन्न अवस्था में रहे । पेट में अत्यन्त जलन , बेचैनी फिर भी शरीर को ढका रखना चाहे । बाहर त्वचा ठंढी हो पानी की चाह किन्तु थोड़ी मात्रा में , वैसी दशा में आर्सेनिक की एक खुराक से रोगी को बचा लिया जा सकता है । नयी अवस्था में अगर अन्य दवा का चयन आवश्यक हो , हपिकाक या फास्फोरस का प्रयोग सुफल दे सकता है । रोगी का अहित नहीं होता । उसके बाद की अवस्था में इन दो दवाओं के बाद आर्सेनिका प्रयोग करना उचित और फलप्रद होगा ।

आर्सेनिक आयोड :-

सर्दी में जब नाक से टप – टप पानी चूता रहे , नाक में जलन पायी जाय तो इसका प्रयोग करें ।

एलियम सिपा :-

नाक में जलन , लगातार छींके आना नाक से पतली श्लेष्मा , जलनकारक , छनछनाहट युक्त नाक की त्वचा में प्रदाह और छाले पड़ना , एलिअम सिपा का लक्षण है । अगर नाक और आँख दोनों से पानी आये तो वहाँ यूफोसिया प्रयोग होना चाहिए सर्दी के साथ खाँसी हो तो खाँसने पर आँख से पानी गिरना यूफ्रेसिया से ही ठीक होगा । इससे अगर लाभ न मिले तो नेट्रमम्यूर दिया जाना लाभ करेगा । नेट्रमन्यूर में सिर में किसी वस्तु से ठोकने जैसा दर्द होता है । हाथ पैर ज्वर में हँढे पाये जाते है । 11 बजे दिन से रोज बढ़ने का लक्षण भी मिलता है ।

एन्टिम टार्ट :-

सर्दी के बाद ज्वर तीव्र खाँसी , ढीली खासी , गले में श्लेष्मा की घड़धड़ाहट निचली जीभ पर दूध जैसी सफेद लेप दिखाई पड़े तो इससे लाभ मिलेगा । बलगम की कै होकर रोग अच्छा हो जायेगा । यह स्वयं कफ निकालने वाली ( Expectorant ) दवा है । अगर कफ न निकलता हो तो एक खुराक हिपर सल्फ आधा कप पानी में घोलकर आधा घंटा के अन्तर पर चार बार एक – एक चम्मच पिलाये तो बलगम साफ हो जायेगा ।

एन्टिम आर्स :-

बच्चों की ब्रोंकाइटिस में जरुरत पड़ती है ।

बेलाडोना :-

शाम को खुली हवा में घूमने , स्नान कर लेने , बाल कटवाने से एकाएक ज्वर आना , उच्च ताप , चेहरा लाल शरीर तप्त , सिर गर्म पैर ठंढे , बच्चों का ज्वर में चौकना , लड़कों या वयस्कों का काल्पनिक प्रलाप , भय , भागना चाहता हो , सर्दी भी हो ऐसे लक्षणों में बेलाडोना उपयोगी है । ढके हुए अंग पर पसीना आना , अधिक मात्रा में पानी पीना । आदि

ब्रायोनिया :-

सर्दी थोड़ी कई दिनों से आलस्य , देहमारी , दर्द , सर्दी सूख जाना , त्वचा सूखी पसीना नही , देरी से ज्यादा मात्रा में पानी पीना , शान्त पड़ा रहना सिर में दर्द होना खाँसी सूखी , खाँसने पर छाती में दर्द कब्ज , पखाना नही लगना आदि लक्षण ब्रायोनिया के है ।

कार्वोवेज :-

सर्दी लगकर शाम को गला भारी हो जाना फुस फुसाकर बोलना खाँसी शाम को बढ़ना , खुली हवा की चाह , दम फूलना , खिरकी के पास जाकर साँस लेना , पंखे की हवा मुँह के पास चाहना , यह लक्षण कार्वोवेज का है । रोगी जब कमजोर निस्तेज , कालापन युक्त , श्वाँस की गति तीव्र , ठंढा शरीर , नाड़ी कमजोर पाये जाने पर कार्योवेज ही जीवनदायिक बनता है ।

डल्कामारा :-

बरसात में , शीली जमीन , आता युक्त वायुमंडल , बरसात के बाद । जब चारो ओर पानी का जमाव और दलदल पाया जाय सर्दी गर्मी का योग , पानी में भीगना या गर्माये हुए
स्नान कर लेने पर अगस्त माह के आस – पास अगर सर्दी जुकाम इन्फ्लुएजा हो , नाक की जड़ में दद , चहेरा ढक लेने से लाभ मिले तो डलकामारा फायदा करता है ।

इपिकाक :-

किसी भी रोग में प्यास नही , जीभ बिल्कुल साफ और लगातार हिचकी जो के होने पर भी न रुके तो इपिकाक का प्रयोग होना चाहिए , खाँसी उसके साथ निचली , ज्वर , ठंढ़ लगना , शीत ज्वर , बुखार अनियमित या चढ़ना उतरना पाया जाय तो ज्वर की हालत में नक्स वोनिका और ज्वर न रहने पर हसिकाक के प्रयोग से बिल्कुल ठीक हो जायेगा ।

काली कार्व :-

सर्दी , खाँसी , ज्वर , कलेजा में दर्द , चित सोना , पेटके बल न सो पाना , भोर 3 बजे कष्ट बढ़ना जाड़ा में रोग वृद्धि , दमा , क्रूप खाँसी फेपड़े में दाँयी ओर दर्द , ब्रायोनिया का रोगी दर्द वाली जगह दवा का सोता है । काली कार्य में तकलीफ दाहिनी और होती है । फासफोरस में बायी ओर ।
काली कार्व , दमा , निमोनिया , क्रूम खाँसी में लाभ करता है । काली कार्य 3 बजे भोर में काली आयोड 5 बजे भोर में जगते हुए खाँसी तेज होती है । काली आयोड में ठेला जैसा बलगम और नमकीन स्वाद रहता है आर्स , स्पंजिया एरालिया कार्वोवेज फासफोरस दमा की दवा है ।
न्युमोनिया में ब्रायोनिया फास्फोरस वेरेट्रम विरिड , का प्रयोग ज्यादा लाभदायक है फासफोरस का रोगी वायी ओर सो नही पाता ।
प्लुरिसी में ब्रायोनिया सलमर , बेलिडोनियम लाभ दायक है ।
नक्स वोमिका सर्दी ज्वर में उत्तम काम करती है । दवा का प्रयोग करते समय चिकित्सक को अगर लक्षण पर संदेह हो तो पुस्तक का सहारा अवश्य लें ।
मौसम का प्रभाव हो , महामारी हो , शारीरिक दशा हो या किसी वाहयकारण , भोजन वातावरण के प्रभाव से हो इन लक्षणों को ही आधार मान का दवा का प्रयोग होना चाहिए ।
क्रॉनिक रोग में जब समयानुसार रोग का पुनराक्रमण हो तब भी तीव्र अवस्थ में लक्षणनुसार ही दवा दें । बाद में अन्य शारीरिक या दोष जनित दवा का निर्धारण कर उनका प्रयोग करना चाहिए ।
पाठकगण , कॉलेज के व्याख्यातागण , छात्र एवं चिकित्सकगण , होमियोपैथी के शुभचिन्तक , सहित आम नागरिकों से अनुरोध है कि अपने आप में जागरुक बने , होमियोपैथी को अपने साथ अपनाएँ आरोग्य पाये । कोरोना काल में लोगों को अच्छी सबक सिखायी है इसे हमारी सरकार एवं सारे चिकित्सा वैज्ञानिक मान चुके है । अतः विशेषज्ञों के निर्देशों का भी पालन करें किन्तु जब एलोपैथों के पास ऐसा कुछ है ही नहीं कि उसकी सेवा से रोग का निवारन हो तो स्वेच्छा से होमियोपैथी को अपनायें , कभी गलत न होगा । उसके लिए मैं आयुष के अधिकारी महोदय को अपने क्षेत्र में आगे बढ़कर जनकल्याण में भरपूर मदद करने के लिए आग्रहशील हूँ । यह उन्हें भी सम्मान और यश दिला सकेगा ।

डा ० जी ० भक्त

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