कोरोना और बिहार , बिहार यानि भारत ।
ओम् हं हनुमते नमः !
ओम् हं हनुमते नमः !!
ओम् हं हनुमते नमः !!!
संकट से हनुमान छुड़ावै ,
मन कर्म बचन ध्यान जो लौवे ।
नासै रोग हरें सब पीरा ,
जपत निरंतर हनुमत वीरा ।।
हनुमान , कौन ? जिसमें यह शक्ति , गुण और चरित्र जुड़ा है । व्यक्त्वि पाया हैं । राम और हनुमान हमारी संस्कृति के नायक बने । आज हम उन्हें याद कर रहे हैं । हम उसी बिहार के हैं जो भारत का हिस्सा है । आज भारत में राम और हनुमान को भुलाने वाले वही हैं जो अपनी संस्कृति को राख में मिला रहे । कोरोना कभी भी कहर नही वरपा पाता , अगर यहाँ से रामत्त्व ( आज्ञा पालन ) और हनुमद्तत्त्व ( सेवा भाव ) कायम रहता , जो दुखियों के दुख में साथ देता , नियम अनुशासन और संयम अपनाता । कर्तव्य पालन को ही धर्म मानकर चलता ……।
आज बिहार में एवं इसके जैसे कई अन्य राज्यों की दशा कोरोना के संबंध में पायी जा रही है जिससे भय फैला रहा है , उसका दोषी कौन है ? इसकी खुली चर्चा सर्वत्र है । ज्ञान को सम्मान नहीं , चिकित्सा विधान में कोई जान नहीं , व्यवस्था पर से विश्वास समाप्त होता जा रहा । मिडिया और समाचार पत्र साक्षीहैं । झूठ हो या सत्य , कोरोना का कहर तो साक्षी है । मौत तो इसका गवाह है फिर इन्सान क्यों घोखे में पड़ा है । उसे स्वयं सोचना चाहिए , अपनी मदद आप करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए ।
हनुमान् संकट के समक्ष स्वयं को शक्तिमान समझ कर चल पड़ते थे , तब उनका नाम था संकट मोचन ।
जब राज्य और देश का सहारा नाकामयाव या साबित हो चला , तो ………. | विश्वास के लए जगह कहाँ ?
आशा है हमारे पाठक इस मंत्र को जपते हुए जीवन को इस मार्ग पर बढ़ाते हुए आगे चलते रहें , अवश्य अपने लक्ष्य पा सकेंगे ।
हम भ्रष्टाचारी और दोषी पर विचारना छोड़ स्वयं भी इस मार्ग को भूल कर भी न अपनाएँ । जब सेवा भाव और आदेश पालन पर आधात पहुंचा , तब तो समस्तीपुर के सी एस कोरोना के ग्रास बने ।
यह संदेश अति गंभीर और निन्दनीय है ।
डा ० जी ० भक्त