Sun. Nov 24th, 2024

 ग्रामीण जीवन से उभर रही वैश्विकता की सुगन्ध

वैशाली जनपद की ऐतिहासिक भूमि अपनी विरुदावली से चारों युगों को गौरवानिवत करती रही है तो उसक्रम में विश्व के शैलानी भी यहाँ आकर इस धरती को नमन करते रहते हैं । यह गैर है कि हम वर्षों नहीं , शताब्दियों तक गुलाम रहकर भी अपनी सभ्यता और संस्कृति की विभूति बाँटते रहे हैं । विद्या , वैभव , प्रेम , सौहार्द , धर्म – ध्वजा और आध्यात्मिक दर्शन का प्रकाश फैलाना जहाँ का उत्कर्ष था , वह देश आज अपनी दीनता में हीनता से ऊपर उठकर नूतनता का अभियान चलाना नहीं छोड़ा है ।

 खेत और बागों में अन्न की बालियाँ , फल – फूलों की डालियाँ जहाँ विविधताओं के मेले में खुशियाँ बाटती है , वही विपदाओं की घड़ियों में सद्भाव और कल्याण का विधान लेकर इस कोरोना काल की विभीषिका को जीविका प्रदान करना अपना लक्ष्य बनाया है । बीती संस्कृतियों एवं स्मृत्तियों के आलोक में औषधियों की खोज और प्रकृति के ओज भरे डोज में आरोग्यता , जीवन्तता सहित संरक्षण का संधान शुरु कर डाला है ।

 विश्व में उपजे विघटनकारी परिदृश्य के बीच जीवन मृत्यु का अभूतपूर्व संघर्ष जब थम नहीं रहा तो जन में ओज , भोज्य और भेषज का प्रावधान , विमर्श और लक्ष्य लेकर विश्व में जागरुकता जगाने तथा तत्तत समस्याओं के निदान समाधान का विधान , लेखन संचार साधन के अवलम्बन से सम्भव बनाना जिनका लक्ष्य है , वे डा ० जी ० भक्त ( होमियोपैथ ) का आरोग्य विधान , औषधि विज्ञान अवगाहन , स्वास्थ्य संवरण का अभियान गूगल्स के माध्यम से प्रतिदिन विश्व के पटल पर उपलब्ध लगातार 18 महीनों से चलाकर अपनी सेवा अर्पित कर रहे हैं ।

 मैं एच ० एम ० ए ० आई का सक्रिय सदस्य रहा हूँ । इस माध्यम से मुझे इनका सानिध्य 1976 से तब हुआ जब ये HMAI के प्रथम अधिवेशन में जमशेदपुर ( Tata Steel City ) केन्द्रीय प्रविनिधि के रुप में शामिल हो रहे थे । फिर 1977 मे नई दिल्ली बुल्वल्कट भवन में HMAI के वाइलौज के साथ ही विश्व होमियोपैथिक सम्मेलन में विज्ञान भवन में अपनों शोच पत्र प्रस्तुत किये थे । मैंने वहाँ पर पाया कि डा ० भक्त जी के साथ प्रेम और सौहान्द्र दर्शाने वाले अनेकों देश – विदेश के श्रेष्ठ पदों पर नेतृत्व करने वाले उन्हें गले लगा रहे थे । वैसे लोगों में डा ० दिवान हरिश्चन्द्र , डा ० युगल किशोर , डा ० पी ० शंकरण , डा ० सी ० वी ० एस ० कोरिया , डा ० डी ० पी ० रस्तोगी , आर के कपूर डा ० आर के देसाई , डा ० एम ० पी ० आर्या प्रमुख थे । उनके साथ इनका पत्राचार पहले से चलता था । उस समय उनकी उम्र 30 वर्ष की थी । लीग के चेयरमैन डा ० इन्डूर्न ने इनके शोध पत्र ” होमियोपैथी इन वेटेरीनरी मेडिसीन ” के प्रस्तुतिकरण के समय बड़ी सराहना की थी । अबतक इन्हाने पाँच वर्ल्ड कॉंग्रेस में भाग लिया है । होमियोपैथी में बम्बई मिडिकल रिसर्च सेन्टर में होमियोपैथिक कन्सेप्ट ऑफ फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिरी प्रस्तुत किया है ।

 डा ० भक्त जी विश्व के प्रथम होमियोपैथिक चिकित्सक है जिन्होंने इस पैथी को पशुचिकित्सा के क्षेत्र में मान्यता दिलाने तथा पशुचिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई डिग्रीस्तर ( B.V.Sc. Hom ) तक प्रारंभ किये जाने का अपना प्रस्ताव CCH नई दिल्ली से पारित कराने का श्रेय प्राप्ति किया ।

 इनकी लेखन कला और कल्पना में विचारों की श्रृंखला खासकर स्वास्थ्य चिकित्सा विज्ञान होमियोपैथी , जन शिक्षण , राजनीति , समाज शास्त्र , आध्यात्म चिन्तन एवं साहित्य सृजन में मानवादर्शो , सामाजिक सरोकारों के साथ आचार विष्ठा , और युग धर्म की पराकाष्ठा लक्षित होती है । प्रगत वैज्ञानिक , चिकित्सीय एवं साहित्यिक शाध न्यास ( प्रोग्रेसिव साईंटिमिक मेडिकल एण्ड लिटररी रिसर्च फाउण्डेशन ) के अध्यक्ष के नाते अपन संग्रह के साथ सम्प्रति गूगल के माध्यम से विश्व के पटल पर अपना विचार नियमित रुप से साझा कर ज्ञान और सुझाव की सुगन्ध वातायन में विचारार्थ साग्रह सह सादर समर्पित करते है जिसका आस्वादन विश्व के हजारों पाठक करते है ।

 आशा करता हूँ इनके प्रयास से आज भटकत समाज एवं नवीन पीढ़ी की चेतना में जागरण की उर्जा जगेगी ।

 डा ० आर ० एन ० गिरि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *