इस चलती फिरती दुनियाँ में हम कहाँ ?
इस चलती फिरती दुनियाँ में हम कहाँ ? डा० जी० भक्त ब्रह्माण्ड की रचना और सृष्टि की चेतना में त्रिगुण का विस्तार जब माया का जाल रच डाला तो इन्द्रियों…
इस चलती फिरती दुनियाँ में हम कहाँ ? डा० जी० भक्त ब्रह्माण्ड की रचना और सृष्टि की चेतना में त्रिगुण का विस्तार जब माया का जाल रच डाला तो इन्द्रियों…
विश्व के हितार्थ एक दुखद निवेदन डा० जी० भक्त हे माननीय, शुभानन्तुः । मैं बिहारी नागरिक हूँ एक देहाती होमियोपैथिक चिकित्सक, शिक्षा से प्रेम रखता हूँ। जनता का सेवक देश…
पेट पर लात डा० जी० भक्त कितनी बुरी बात मानव मानव पर घात लगाये बैठा है। थाने के सिपाही रोड पर खड़े होकर अहले सुबह (हात प्राप्त) ट्रक वाले को…
पेट भरता नहीं डा० जी० भक्त प्रकृति ने वनस्पति पैदा कर उसके पोषण हेतु सर्वप्रथम जड़ विकसित किया जो धरती से जल और पोषक तत्त्वों का शोषण कर पाये उसी…
शिक्षा क्षेत्र में कोचिंग का साम्राज्यवाद डा० जी० भक्त आदि काल से हमारा देश जगत गुरू कहलाता आया है। कोचिंग इंस्टीच्यूट चले तो बूरा नहीं । एक बात जो गम्भीर…
इस भौतिक वादी जगत में भी राम और कृष्णा के ही आदर्श ग्राह्य हैं डा० जी० भक्त मर्यादा पुरूषोत्तम राम और कर्मयोगी कृष्ण के मानवादर्श को ब्रह्मत्व प्राप्त है। हमारा…
कोरोना और वैक्सिन वैक्सिन की भरमार प्रकृति के साथ छेड़छाड़ सबसे ज्यादा अपेक्षित है आरोगय कारीदवा का आविष्कार डा० जी० भक्त, मो० 9430800409 मैं नहीं, सिर्फ आप सभी विश्व के…