Thu. May 15th, 2025

विश्व की सरकारें एवं वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में समरस जीवन की अवधारणा ।

विश्व की सरकारें एवं वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में समरस जीवन की अवधारणा । आज की सामाजिक व्यवस्था में समरस जीवन की अवधारणा पर चिन्तन कोरी कल्पना होगी , किन्तु ऐसा…

भारतीय जनतंत्र पर जाति धर्म और भाषा का जादू आर्थिक विषमता और स्वार्थ से सनी हुयी है ।

भारतीय जनतंत्र पर जाति धर्म और भाषा का जादू आर्थिक विषमता और स्वार्थ से सनी हुयी है । उसे समाप्त कर ही सुधार सम्भव हो सकता है । जब तक…

ज्ञान तो वरदान है ही , किन्तु विज्ञान अभिशाप भी है । विज्ञान पर सर्वथा निर्भरता आवश्यक नहीं ।

ज्ञान तो वरदान है ही , किन्तु विज्ञान अभिशाप भी है । विज्ञान पर सर्वथा निर्भरता आवश्यक नहीं । ( डा ० जी ० भक्त ) अबतक ज्ञान और विज्ञान…

वैश्विक एकता एवं समरसता में राष्ट्रों की भूमिका

वैश्विक एकता एवं समरसता में राष्ट्रों की भूमिका डा ० जी ० भक्त यह कठिन प्रश्न है आज के राजनैतिक धरातल पर आज राष्ट्रों के बीच महाशक्ति के रुप में…

भारत का सांस्कृतिक गौरव और राजनैतिक चरित्र

भारत का सांस्कृतिक गौरव और राजनैतिक चरित्र मुझे तो अबतक किसी वैसे व्यक्ति से भेंट नहीं है जो त्रिकालदर्शी कहे या माने जाते हों । ऐसा इसलिए भी कहा जा…

आचार संहिता और जन जागरुकता की शिक्षा

आचार संहिता और जन जागरुकता की शिक्षा जनतंत्र की धरती पर जन जागरुकता जगाने का अभियान कब तक चलता रहेगा ? सुनने पर दुखद अनुभव होता है जब चुनाव के…

ब्राह्मी शक्ति का आहान , परमात्म भाव , और जन – कल्याण का विधान – निधान ही मुक्ति का साधन बनता है ।

ब्राह्मी शक्ति का आहान , परमात्म भाव , और जन – कल्याण का विधान – निधान ही मुक्ति का साधन बनता है । मुक्ति का अर्थ कदाचित मृत्यु नहीं मानना…