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 कोरोना के लिए नोसोड का प्रयोग


यघपि कोरोना पर चिकित्सा वैज्ञानिक 2002 से ही चिन्तनशील है किन्तु अबतक इस रोग पर सुव्यवस्थित दर्शन Well stablished Phtosophy सामने नही आ पाया है तथा न इसके सुस्पष्ट लक्षण ही गिनाये गये है । 2020 की फरवरी में जब भारत में कोरोना के संक्रमण पर कार्यक्रम तेज हुआ तो होमियोपैथिक चिकित्सकों ने बड़ी जल्दीबाजी में बिना किसी विमर्श का Arsenic alb नामक दवा को प्रोफिलैक्टिक बताया तथा प्रचलन बड़ी तेजी से हुआ । कोई कुछ अन्य दवाओं के नाम बताएँ । किन्तु आर्सेनिक का चयन विचारणीय नही है । डा ० जेम्स टेलरकेन्ट के लेक्चर आफ होमियोपैथिक मेटरिया मेडिका इसके प्रयोग का समर्थन नये रोग में , जैसा लक्षण कोरोना का स्पष्ट नही करता उचित नही ठहराया है ।

 डा ० विलियम बोरिक ने अपनी मेटेरिया मेडिका में तथा डा ० जॉन हेनरी क्लार्क ने अपनी डिक्सनरी ऑफ प्रैक्टिकल मेटेरिया मेडिका में हिप्पोजेनियम दवा का जो स्पष्ट वर्णन किया है उसका प्रयोग प्रोफिलैक्टिक एवं क्यारेटिव दोनों ही रुपों में हो सकता है मैंने इसे प्रमाणित पाया है और आज भी प्रचलन में रखा है । चिकित्सा के लिए लक्षणानुसार एवं उसके लक्षणों में अप्रत्याशित परिवर्तन सहित उनके बदलते स्वरुप पर भी होमियोपैथी के अन्य प्रयोजनीय दवाओं के विवरण एवं प्रयोग विधान पर लगातार गुगल्स पर ( myxitiz.com ) पर कोरोना के निवारणार्थ अपना विचार साझा करता आ रहा हूँ । मेरा आग्रह है कि विश्व की सरकारे , उनका चिकित्सा विभाग होमियोपैथीगण तथा आम जनता भी इस पर विचारे शोध करे एवं मानवता के हित में सोच विचार कर इस महामारी क अन्त मे सहयोगी बने । शोध जारी है ।

डा ० जी ० भक्त

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