Thu. Apr 18th, 2024

विश्व में मेडिकल साइंस के क्षेत्र में होमियोपैथी का अवतरण एक अहम घटना

 जर्मनी की धरती पर 10 अप्रील 1755 उपरोक्त घटना का साथी है जिस्दीन उस परिदृश्य मे अभूतपूर्व परिवर्तनकार के रूप मे ” हैनिमैन ” साहब का जन्म हुआ , जिन्होने होमियोपैथी , जिसे गम समलक्षण संपन्न चिकित्सा पद्धति कहे या आर्ट ओफ हीलिंग , एकाएक अपनी सूक्ष्म दर्शिता से संसार को आश्चर्य चकित ही नही किया , वरण चिकित्सको का मानस ही बदल डाला ।
 गैलेनियन प्रिंसिपल कांट्रेरिया कांट्रेरिस की जगह अब सिमिलिया सिमीलीवस क्योरैंटर की गरज डोज का सिद्धांत निकला , एरप्यूरिक ला प्रतिपरीत हुआ , ड्रग डीज़ामैइजेसन से सूक्ष्मातिसूक्ष्म औषधिया बनी जो अदृश्या जीवनी शक्ति को जगनेवाली एवं रोग परमाणेंट रेस्टोरेशन को क्योर आना साथ ही मेडिसिन की पूर्व प्रचलित चिकित्सा को सपरेशन ओफ डीजिज बताया ।
 इस प्रकार जर्मनी में जन्मी अमेरिका मे विकसित हुई तथा भारत मे आकर पूर्णतः प्रतिष्ठित हो पाई । आज हम उन म्हान होमियोपैथिक विचारधारा के समर्थको के अनवरत कठिन परिश्रमो से जहाँ तक विश्व के अधिकांश देशो मे अपनी आरोगयकारी पहचान बनाई और द्वितीय स्थान पा ली है किंतु आज हमे सोचना पररहा है की इस वैश्विक कोरोना संक्रमीत अंकित करा रहा है।चिकित्सक सेवा कर रहे है । व्याख्याता पढ़ा रहे है । सरकारी सेवा पारहे है । अधिकारी बन बैठे है । अपनी कैंसिल है । अनुषंधन शाला है । फार्मकॉपिया और मेडिकल लैबोरेटरी है । अपना मंत्रालया है । विशाल होमियोपैथी का राष्ट्र व्यापी संगठन H.M.A.I. है । विश्व स्तर पर इंटरनेशनल होमियोपैथी मेडिकल लीग है फिर हम आगे बढ़कर बोल क्यो न पा रहे ? यह विचारणीय प्रश्न बन कर रह गया है ?
 आप कह सकते है की अपने देश भारत मे कुछ जगहो से दवाओ के नाम आए है । लोग उसे पढ़ लार एवं दूसरो से सुनकर दावा का प्रयोग करहे है।प्रविषा मे अबतक अशन्तविक किंतु न मेरे साइट www.myxitiz.in पर न मेरे मो . न . से न मेरे पते पे ही कोई जानकारी आई । मैं पुनः स्पष्ट करना चाहता हू की मेरी ओर से ” हिपोजीनियिम ” दावा के सम्बन्ध मे स्पष्ट जानकारी देते हुए शीर्ष पदो के पाते पर इस संबंध में परीक्षण कर निर्देश साझा करने का निवेदन गया है | पुनश्च अनुरोध करता हू की एक राष्ट्र व्यापी विमर्श कर आतिशीघ्र कोई वक्तब्य प्रकाशित हो जिसको CCRH हर प्रकार से प्रमरित कर चुका हो | यह विषय अपने देश मे होमियोपैथी के विकास का सूचक बन पाए , इस गंभीर चुनौती पर हमारा क्या कर्तब्य बनता है , इसे प्रमारित कर विश्व को दिखलाया जाए | सबकी बाते सुनी अब अपने स्तर की प्रगती को जानने की प्रतीक्षा रखता हूँ ।

 भवदीय
 डा . जी . भक्त

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