अचानक बढ़ते तापमान
सौर मंडल के ग्रहो की गति और उनके प्रभाव से प्रकृति भी प्रभावित होती है । इस मई महीना का अंतिम साप्ताह जो अचानक बढ़ते तापमान को प्रकट कर परेशानी पैदा कर रहा है , जिससे लोग भयभीत हो रहे है इसकी सूचना तो ठाकुर प्रसाद की चिंताहरण यंत्री के आकाशीय लक्षण में स्पष्ट बतला रहा था । हाँ यह लोगो को ज्यादा भयावह इसीलिए भी लग रहा की पहले से कोरोना का कहर भी अपनी लहर मे कमी नही ला रही , इसी बीच समूदिक तूफान का कहर , उसमे भी अन्य प्रकार के संक्रमण का एक साथ एकसाथ अपना प्रभाव दिखाना कष्ट का बोझ लादता जा रहा है ।
ग्रीष्म काल की गर्मी इसलिए भी भयावह होती है की हवा शुष्क रहती है । इसे लोग कोरोना के संक्रमण मे वृद्धि से जोड़ कर चिंतित हो रहे है । मिश्रित विचार और प्रतिक्रिया जोड़ पकड़ रही है । कुछ का मानना है कि यह बढ़ता हुआ तापमान आगे दिन स्वतः ही वायरस को निस्परभावी कर देगा ।
इन चिन्ताओ का सरल निदान है होम्योपैथी की तीन दवाएँ पल्सेटीला २०० नेट्रमम्यूत २०० एवं बयोनिया ३० का लक्षणनुसार प्रयोग ।
इसका प्रयोग इस प्रकार हो
( १ ) तापमान का बढ़ना जब मान को अशांत कर रहा हो , मुह सूख रहा हो । दाढ़क की चाह , शरीर धोने की इच्छा हो तो पल्सेटीला का प्रयोग एक खुराक मात्र आराम देगा ।
( २ ) जब दिन का बढ़ता तापमान धूप मे ताकने मे कष्ट कर लगे , पसीना का अधिक प्रवाह कमज़ोरी और सिर मे भर अनुभव हो तो नेटम म्यूर रात्रि में ग्रहण करे ।
( ३ ) पर शरीर मे सुखापन , ताप और तीव्र प्यास से परेशानी है । पाखाना सूख जाए , तो ब्रयोनिया ३० की चार खुराकै दिन भर मे आराम लाएगी ।
यह संक्षिप्त एवं प्राथमिक सलाह है । इससे लू लगने का प्रभाव नही सता पाएगा | लू के प्रकोप मे उसके अन्य लक्षण डायरिया , डीहाईड्रेसन , कैहोना , उच्च ज्वर आदि में भी सहायक है और इन तीनो दवाओ की जरूरत पड़ती है । परेशानिया घटाने में इनका भूमिका सराहनीय पाई जाएगी ।
यह सुझाव जान समुदाय एवं चिकिस्तको के लिए आवश्यक एवं लाभकारी सिद्ध होगा ।
नोट – अधिक पसीना और कमजोरी , सर का भारीपन सिद्ध होने पर नमक – चीनी की बूका का घोल विशेष उपकारी होगा ।
डा . जी , भक्त