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कोरोना पर एक नज़र

* जनता की पहली अपेक्षा है कोरोना को समूल हराना ।
* चिकित्सा को – वैज्ञानिकों से अपेक्षा है इससे बचाव और चिकित्सा दवारा निवारण की ।
* सरकार से अपेक्षा है प्रथमतया इस महामारी की व्यवस्था और निगरानी की साथ ही इससे जुड़ी समस्या के निवारण की |
. सपूर्ण सक्रिय है ।
 . . कठिनाइयाँ विविध रूपों में आती हैं ।
 . . . विजिलेंस तेज़ है । सर्विसेंस पर चिकित्सा विशेषग्य बतलाएँ , कितना , पर्याप्त है या कमतर ? *
 . . . चिकित्सा विभाग क्या कर रहा है , जनता को स्पष्ट पता नहीं चल रहा |
 . . . . . उपलब्धि में सिर्फ आँकड़े सुनने को मिल रहे ।
. . . . . . सन्क्रमितो में क्या लक्षण पाए , मरने वालों में कौन – कौन से कॉम्प्लिकेसंस मिले , इसे साझा किया जाना चाहिए |
 . . . . . . . ताकि अन्य चिकित्सा पद्धतियों वेल जान परख कर अपनी क्षमता , उपादेयता और प्रतिबद्धता प्रकट कर सकें । पारदर्शिता चाहिए |
 – – – स्पष्ट जानकारी हो की यह प्राकृतिक प्रकोप है , किसी कृत्रिम कार्रवाई की शंका है या इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप दिखाई पद रही है ? क्योंकि जगह जगह पर सरकार के समक्ष संदिग्ध शब्द आ रहे हैं ।
 – ~ ~ ~ ऐसे वैज्ञानिकों ने तो इसे प्राकृतिक ही बताया है ।
 – ~ ~ – चिंता है की यह आगंतुकों में ही क्यों पाए जाते हैं ? और छदम रूप से ?

 ऐसी जानकारियों की नितन्तता इस हेतु आवश्यक मानी जा रही है की सटीक निदान ढूँढने में सफलता मिले | साथ ही रोग के कारकों , वाहकों , लक्षणों , विकारों , उनमें आते बदलावों की भयनकर्ता और मारात्मकता का ज्ञान , निदान के लिए आवास्याक होंगे जिनके आधार पर उनकी क्लिनिकल थेरप्युक्तिक्स तैयार हों | मैं होमेओपैथ हूँ । हमारी पैथी है लकक्शण समष्टि तथा दवा की प्रविंश से प्राप्त लक्षणों ( मानव पूवर पर ) से संपूर्णता या प्रचुरता में पाई जाए तो वहीं दवा उस व्यक्ति विशेष के लिए विचार की जाती है | होमेओपैथि व्यक्ति विशेष पर ध्यान देकर दवाचयन करने और प्रयोग में लाने का पक्षधर है यही कारण है की संपूर्ण आरोग्य की इसमें पूरी संभावना दिखती है । यह भी महत्व रखता है की इसकी दवाएं मानव को खिलाकर परीक्षित होने से वह रोगियों के सब्जेक्टिव और रोग जनित लक्षणों के साथ सामंजस्य बैठाकर इंडिविजुयली ( व्यक्तिगत रूप से ) निदान ढूँढा जाता है । हम रोग का नहीं रोगी का इलाज करते हैं | आरोग्य स्थापित होने और रोग का संपूर्णता से निराकरण व्यक्तिगत आधार की अपेक्षा रखता है । प्रेवेटिव मेडिसिन होमेओपैथि में वहीं होगा जो पूर्व परीक्षित और आरोग्य दवारा सत्यापित हो साथ ही संक्रमित रोगियों में उन लक्षणों की उपस्थिति की टोटलिटी या मॅक्सिमिटी पाई जाए | इसे हम जीनियस एपिडेमिक्स कहते हैं | संक्रामक रोग का प्रकोप जलवायु और मौसम के साथ लिंग और अवस्था ( उम ) तथा शरीर के अंग या तंत्र ( सिस्टम ) को भी प्रभावित करता है । होमेयोपैथी की हिपोजीनीयम दवा जो रेस्पिरेटरी सिस्टम को ही प्रभावित करती है उसमें नाक से फेफड़ा तक के अलग – अलग या संपूर्ण रूप से विविध कष्टों , विकारों तथा तंतुओं पर विशिष्ट प्रभाव डालते और मारत्मक भी साबित होते हैं । मैं आयुष ( होमेयोपैथी ) के शीर्ष अधिकारी माननीय सचिव महोदय को E – MAIL – WEBMANAGER- [email protected]पर दो डिसपॅच तथा इसी पर 25 . 03 . 2020 का भी एक पत्र श्रीमान की सेवा आवश्यक निर्देश की प्रत्याशा में भेजा है । जानकारी की प्रतीक्षा है | आवश्यक सेवा के लिए तैयार हैं । विशेष जागरूकता जगाने हेतु GONGLIS पर लगातार myxitiz.com पर जानकारी शेयर कर रहा है । मेरे द्वारा चलाए जा रहे तीन चिकित्सा केंद्रों पर चिकित्सीय एवं रोक थाम के कार्य प्रारंभ कराए गये हैं । सहायक के रूप में स्थाई रूप से 1 – श्री प्रवीण कुमार , हाजीपुर केंद्र 2 – श्री महेश प्र . सिंह , गोरौल केंद्र पर तथा श्रीमती कृष्णा आर्य , वेलसर में अपनी सेवा में लगे हैं । अन्य संबद्ध कार्यों के लिए पाँच सहायक सक्रिय स्वआ स्वैच्छिक रूप से दे रहे हैं । सभी सहायक होमेयोपैथिक शोध एवं कल्याण संस्थान रेजिस्ट्री वेलसर हाट ( वैशाली ) विहार से प्रशिक्षित ( आदर्श स्वास्थ्यकर्ता ) हैं | प्रगत वैज्ञानिक चिकित्सीय एवं साहित्यिक शोध हाजीपुर न्यास के दो कार्यकर्ता ( अवैतनिक ) कार्यक्रम में योगदान कर रहे हैं ; खर्च स्थानीय मित्रों से प्राप्त दान पर चल रहा है ।

भवदीय

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