कोरोना वायरल डीजिज – 19
रहे सचेत और निर्भीक
पेस्टीलेंस ( प्रकोप ) बढ़ता जारहा है । विमिलेंस ( निगरानी ) और सर्मिलेन्स ( बचाव व्यवस्था ) तेज और शिकस्त है । अतः नियम को कड़ाई से पालन करना आवश्यक तो है ही एक बड़ी बात यह है की सचेत रहने के साथ निर्भीकता भी अपनानी है । यह सच है की कानूनी दबाव से जन जीवन संत्रस्त होता है । ठीक उसी तरह संक्रामक रोग मे भय व्याप्त होने से रोग मे संकट तीव्र होजाता है । यह विषय पहले से प्रचारित है की इसका चिकित्सीय है , इसकी चिंता भी सता रही है अतः जान साधारण को अवश्य ही अपने मन पर काबू रखकर माननीय प्रधानमंत्री जी की लक्षमणरेखा का भी पालन करना होगा । भरयार्त होने से जीवनी शक्ति पर एकाएक हमला होता है , इसे चिकित्सा जगत के लोग भली प्रकार से समझते है । एपिडेमिक कंट्रोल के नियम के साथ अबतक चिकित्सा का साथ साथ समायोजन होता था । आज का यह विश्व व्यापी संक्रमण विश्व युद्ध की संज्ञान पारहा है । विश्व से चिकित्सा क्षेत्र हिमान संदेश सुना चुका है । ऐसी परिस्थिति मे मेरा सर्व साधारण से विनम निवेदन है की होमीयोपैथी की दवा , जो मैने साहार पर सुझाया है , उसे सविश्वास प्रयोग में लाए . ईशाए लिए चिकित्सक बंधुओ को यथा निर्देश समझ बुझ कर सावधानीपूर्वक जनहित के उतार देना है । आयुष के राज्य एवं केंद्र के शीर्ष अधिकारी प्रभावी विमर्श कर इस सन्दर्भ में वक्तब्य जारी करे , तब यह जनता के बीच प्रभावी होगा और कल्यानपद साबित होगा | जैसा की पूर्वा मे किसी श्रोत से आर्सेनिक एवम एकोनाइट के प्रयोग रोकथाम के लिए सुझाया गया है जो सर्वथा अमान्य है । इसपर भी डा . जे . टी . केंट के विचारो से सादृश्य जान का निर्माण ले | सिमिलिसा प्रिंसीयूस पूर्णत वैज्ञानिक है । ” हिपोजेनियम ” के संबंध मे ही आयुष उसकी प्रायोजनीमता पर अनुभवी चिकित्सको के बहमूल्य विचार आमित्रत करे | यही सही समय है जहा उनकी योग्यता , अनुभव और आरोग्य कला की परीक्षा है किंतु यह समय की माँग है , और खड़ा उतरना हमेशा हमारा कर्तव्य भी बनता है । महात्मा हैनिमैन हमारा साथ दे |