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नाना जी मनुष्य को हर प्रकार से ऊँचा देखना चाहते हैं ।

 !! साहिल सौरभ हाजीपुर ( वैशाली ) !!

 मैं कक्षा 8 का छात्र हूँ । मेरे नाना जी एक होमियोपैथिक चिकित्सक हैं । वे अपनी उम्र 73 वर्ष बतलाते हैं । शिक्षा और शिक्षण के प्रति उनका लगाव अधिक है । वे हिन्दी संस्कृत और अंग्रेजी में अच्छी जानकारी रखते हैं । उनकी हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में अच्छी – अच्छी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उन्होंने होमियोपैथी की भी हिन्दी और अंग्रेजी में पुस्तकें छपवायी हैं ।
 सुनता हूँ कि वे राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग प्रस्तुत करते हैं । शिक्षा के प्रति वे अपना ऊँचा विचार पाल रखें हैं । लोगों का कहना है कि दिनानुदिन शिक्षा में आती गिरावट पर एक पुस्तक “ जन शिक्षण में अभिव्यक्ति की प्रामाणिकता ” प्रकाशित कर राष्ट्रपति महोदय ( प्रणव मुखर्जी जी ) को समर्पित की है । होमियोपैथी के क्षेत्र में भी उनकी धारणा है कि जीवन में हर पहलू पर होमियोपैथी को उच्चतम लक्ष्य की ओर ले जाया जाय ।
 हाम में उन्होंने इस कोरोना -19 के विश्वस्तरीय संकट में होमियोपैथी द्वारा निवारण के प्रयास में अपना समय , ज्ञान और शक्ति लगाकर तथा देश और आयुष के पदाधिकारियों में सकारात्मक गति जगाने का काम किया है । प्रतिदिन वेवसाइट पर इनके द्वारा भेजा गया लेख पढ़कर मैं इतना जरुर समझ पाया हूँ कि बृद्धावस्था में उनका देश – प्रेम इतना सक्रिय है कि अपने विचारों का विश्व के पटल पर ले जाकर जन समुदाय को जागरुक करने में जान से लग चुके हैं ।
 मैं भी संदेश अपने साथी छात्रों को देना चाहता हूँ कि हम सब भी अच्छे बने और देश के लिए अपने को हर प्रकार से तैयार करने में पीछे न पड़े ।
 जय भारत ।.          
 आपका
 साहिल
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