विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली- 2023
क्षितिज उपाध्याय “किशोर”
विश्व की संस्कृति में ज्ञान का प्रसार और पुस्तकों का प्रकाशन बड़ा महत्त्व रखता है। आज दिनांक 2 मार्च को दैनिक हिन्दुस्तान में इस पुस्तक मेला के सन्दर्भ में उल्लेख मिला कि पुस्तक मेला में जितने दर्शनार्थी जुटते हैं, वे पुस्तक के क्रेता सभी नहीं होते। कुछ कारण है कि आज पुस्तकों के पाठक अब कम रह गये हैं। पुस्तकों की कीमते बढ़ी है। लेखन और प्रकाशन तो चल ही रहा है, तथापि इन्टरनेट की सुविधाएँ जो कुछ परोस रही हैं, उसी दिशा में आज के छात्रों सह बालकों का रूझान ज्यादा है। हाँलाकि दिशा का बदलना पूर्णतः उचित नहीं. पुस्तक तो ज्ञानात्मक संस्कृति का धरोहर है अगर पुस्तकें खासकर साहित्य की पुस्तकें जिन साहित्यकारों की रचनाएँ विचार सम्पदा के रूप में सामने आ रहे, प्रकाशन हो रहा, भले ही कीमते युग के अनुसार बढ़ने और उनका विकल्प दृश्य श्रव्य संसाधन के नेतृत्व लेने से पुस्तक की मांग प्रभावित हुयी है, हमें इस विन्दु पर भटकना नहीं चाहिए।
वही पर एक सज्जन अपना विचार रखते है कि आज भी साहित्य सृजन हो रहा है। जहाँ लेखक युगीन परिवेश में उत्तम विचारों के माध्यम से समाज का नेतृत्व लेकर उत्तर रहे है। उनकी भी रचनाएँ साहित्य के अनेकानेक प्रस्फुट विचार समक्ष रख रहे है। संक्षिप्त में भी विस्तृत एवं गहन भाव भरे हैं आडम्बरों कुप्रदाओं, कुरीतियों तथा नीति विरुद्ध प्रचलनों में आमूल सुधार के मानवता वादी लक्ष्यों को सामने लाकर सुधरा, स्वस्थ, प्रगत, सुसंस्कृत और विकसित समाज का मंत्र ही नहीं जागृति का मार्ग प्रशस्त्र कर रहे है यहाँ | तक कि प्रतिनिधि ग्रंथों, नीति शास्त्रों, आध्यत्म और राजनीति सह समाज शास्त्र पर भी उनका उत्कृष्ट सुझाव विश्व को नेतृत्व दिलाने वाली है नोसन प्रेस सिंगापुर से छपे तीन पुस्तकों क्रमश:-
(1) आधुनिक युग में श्रीमद्भग्वदगीता
(2) Memorizer in Homeopathy (Poem in Eglish)
(3) जन हुँकार (लघुकाव्य)
उत्कृष्ट और उपयोगी है जो फिल्प कार्ट के द्वारा उपलब्ध है। लेखक (डा०जी० भक्त) की अन्य पुस्तकें भी हिन्दी एवं अंग्रेजी के प्रकाशित है।
इसे मेरा व्यावसायिक विज्ञापन नहीं मानें, वरन यह पाठकों के लिए मार्ग दर्शन है जो अबतक उनके पास नहीं पहुँचा हैं।