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सूक्ष्म खुराक होमियोपैथी के वृहद प्रभाव

 डा ० जी भक्त 

 हम जिसे सूक्ष्म कहते हैं , उसकी छोटी इकाई अणु का भी भौतिक अस्तित्त्व है । इससे सूक्ष्म परमाणु है , जिसे हम अणुओं के निर्माण में अध्ययन करते है । यहाँ होमियोपैथी के अविष्कर्ता हैनिमैन महोदय ने सिद्धान्त रुप में दवा की मात्रा को सूक्ष्म बतलाया । उनकी दवाएँ जो प्रयोग में लायी गयी , उनहें बार – बार मात्रा को 1/100 वाँ भाग में बाँटते हुए अगर छ : बार प्रक्रिया दुहरायी गभी तो परिणमतः वह मात्रा जो ली गयी थी उसका 100,00,00,00,00,00 ( मूल मात्रा का दस खखवाँ ) भाग होगा जो हनिमैन की 6 ठीं पोटेन्सी में पायी जायेगी । 10 वीं पोटेंसी तक पहुँचते – पहुँचते पदार्थ का भौतिक अस्तित्व अबतक की वैज्ञानिक पहुँच से दूर हो जाती है । तब होमियोपैथी की 12 वीं , 30 वीं , 200 वी .. आदि शक्तियाँ अपने आपमें भौतिक अस्तित्त्व का प्रतिनिधित्व तो नहीं करती किन्तु व्यवहार में रोगों को अवश्य आरोग्य करती है ।

 विज्ञान यह मानता है कि पदार्थ के अणु जब टूटते है तो अपनी जड़ता व्याग कर गव्यात्मकता ( Dynamic ) अवस्था प्राप्त कर शक्तिशाली बन जाती है । खेद है कि बहुतेरे विज्ञान के ज्ञाता या छात्र इस पर विश्वास न कर इस पद्धति की शिकायत करते और वहिष्कार करते है ।

 दूसरा तथ्य है कि रोग शक्ति और जीवनी शक्ति को भी हम ऐसी ही सूक्ष्म अवस्था मानकर चले तो खुराक जो जीवनी शनि को जगा सके सूक्ष्म ही चाहिए ।

 तीसरी बात यह है कि मूल औषधीय पदार्थ जहरीली क्रिया करने वाला हो सकता है जो अपने आण्विक अस्तित्व में भी शरीर में जाकर अपनी प्राथमिक क्रिया से रोग लक्षणों को प्रशमित करेगा फिर बाद में उसकी उपस्थिति शरीर में अपनी गौप ( दूसरी ) क्रिया में विपरीत कार्य अर्थात साइड इफेक्ट लायेगी जैसा एलोपैथिक दवाओं में से कुछ के प्रभाव सामने आते पाये जाते है ।

 इस तरह सूक्ष्म खुराक होने से व्यवहारतया दवा का कम प्रयोग होना , लम्बे अन्तराल पर खुराक दुहराना , कम कीमती पड़ता है । इन सबके होते हुए होमियोपैथी उन रोगों को भी आरोग्यकारी पाती है जिन्हें एलोपैथी से आरोग्य करना असम्भव है । पुरानी बीमारियों तथा कुचिकित्सित रोगियों तथा औषधि के दुष्प्रभावों को दूर करने में भी असफल होते हैं । चिकित्सा कीमती होती है । रोगी को दवा का गुलाम भी बन कर जीवन काटना पड़ता है ।

 कहावत है कि वरगद , पीपल , पाकड़ , गुलर के बीज छोटे किन्तु वृक्ष तो विशाल होते है , उसी प्रकार सूक्ष्म खुराक की विशेषता होमियोपैथी की महानता प्रदर्शित करती है ।

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