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होम्योपैथी चिकित्सा

               6 सितम्बर शुक्रवार को प्राप्त दैनिक हिन्दी हिनदुस्तान में प्रकाशित आँखो का सन्क्रमन ,(जलन, चुभन ,दर्द,पानी गिरना ओर धुन्धलि द्रुष्ति से प्रभावित   ). रोगियो के लिय होमियोपैथिक दवाओ से शीघ्र लाभ मिलेगा ।
       इसके लिए युफ्रेसिया,पाल्सेतिल और नेटमम्युर प्रधान दवा है। प्रथमतया युफ्रेसिया का प्रयोग ही आराम पहुँचा देगा । अगर लाभ हो जाने पर भी आँख से गादा कीचर आये तो पाल्सेतिला दे ।अरोग्य हो जायेगा ।अगर उसका शेष लक्षण जैसे धुन्धुलापन् घटने में देर हो तो नेतमम्युर् अवश्य दे ।
     अगर प्रारम्भ में आँख की रोशनी सहन न हो ,सुजन पायी जाये सिर में दर्द हो चेहरा लाल और गरम हो तो बेलदोना अवश्य् दे। इसी से अरोग्य हो जायेगा ।अगर रोगी की आँख की लाली न कम  हो और रात में कष्त् और तेज हो यो मर्क्सोल की जरुरत परेगी । इन दवाओं की शक्ति 30 या200 मे से कोई भी प्रयोग में ला सकते है।
      दवा की मात्रा 5ml की  शीशी में 30नम्बर की गोलीयो पर पांच बून्द दवा मिलाकर उसकी चार- चार  गोलीयां दो-दो घंटे पर सभी उम्र के रोगी खाय अथवा एक बड़ी चम्मच शुगर ऑफ मिल्क पर एक बून्द दवा मिलकर उसकी 6पुदिया बनाये ,एक एक पुरिया दो-दो घान्ते  पर खिलाये ।डालने वाले दवा की कोई जरुरत् नहीं है।

                   

                                डॉ0 जी0 भक्त

                                9470800409

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