Mon. Nov 25th, 2024

एक प्रत्याशा कोरोना क्योर की

जो प्रत्याशा विश्व की सरकारें और सारी दुनियाँ पाल रखी है कि Covid – 19 का वैक्सिन आयेगा , वही चिनता मुझे सता रही है कि होमियोपैथी की हिपपोजेनियम नामक दवा का परीक्षण हमारे भारतीय होमियोपैथिक केन्द्रीय औषधि अनुसंधान पर्षद के निदेशक करने में दिलचस्पी क्यों नहीं ले रहे । अगर अन्य प्रकार के वैक्सिन दूसरे प्रणाली के वैज्ञानिक करते हुए विफल होते पाये जा रहे है तो उसकी चिन्ता देश नही करता तो हमारी भी वही दशा होगी तो क्या बुरा ? वैसे भी तो कोरोना से मरते ही हैं । विश्व के कल्याणार्थ हम यहीं पीड़ा सहन कर लेंगे ।
 ज्ञातव्य है कि हमारी दवा मेटेरियल नहीं डायनेमिक है । वह सूक्ष्म मात्रा होने से निरापद है । शक्तिकृत होने से शक्तिशाली एवं रोगोन्मूलक है प्रशमित नहीं करती , उसके दूरस्थ दुष्प्रभाव भी नही होते । नोसोड होने से वह वैक्सिन जैसी हो तथा जीवनी शक्ति में जान फूंकने वाली विश्व की राजकीय चिकित्सा प्रणाली के अधिकारी भी इस होमियोपैथी के सिद्धान्त , नियम , दर्शन और विधान पर सापेक्ष अध्ययन कर बिना भेद रखे विज्ञान के धरातल पर तौलने का अवसर न खोयें साथ ही सहयोगी चिकित्सा पद्धति को अपने साथ उस पुनीत कार्य सिद्ध होने पर जनकल्याण की भावना से जोड़ने का अवसर दें ।
 इसमें देश और विश्व की सुरक्षा तथा मानव के अस्तित्व बचाने का लक्ष्य है । राष्ट्र भक्ति का इससे बढ़कर दूसरा कौन सा अवसर होगा जब इस कर्त्तव्य को निभा पायेंगे ।
 मैं भावुकता भरे शब्दों में मोदी जी सहित दुनियों के लोगों की शुभकामना चाहेंगे कि अन्य प्रयोग और शोघ कार्यों की तरह मेरे द्वारा निवेदित विषय को भी जोड़ कर देखे । मुझे विश्वास है कि हनिमैन साहब की आत्मा आप पर आरोग्यता का शक्तिपात करेंगे ।

 निर्देश :-

 1. कोविद -19 से संक्रमित रोगी के लिए निर्दिष्टदवा की 200 शक्ति की छ : गोलियाँ आधा कप पानी में घोलकर उसकी दो चम्मच मात्रा दो – दो घंटे पर 6 खुराक प्रतिदिन 4 दिन तक खिलायें ।
 2. यही दवा उसी मात्रा में प्रति व्यक्ति दो चम्मच सप्ताह में एकबार संक्रमण से बचाव के लिए परिवार के हर सदस्य को दें । शिशु को एक ही चम्मच । इसी प्रकार प्रति सप्ताह देते रहें ।
 3. उल्लेखनीय है कि दुबारा आक्रमण जिन रोगियों में पाये गये है उसकी चिकित्सा महामारी की तरह नहीं , पुराने रोगी का चिकित्सा विधान अपनाये जाये । लक्षण समष्टि और पूर्व के इतिहास के अनुसार होगी किन्तु पहले हिप्पोजेनियम तीन दिनों तक चलायी जाय एवं लक्षणनुसार निर्दिष्ट दवा का चयन कर प्रतिदिन तीन खुराक दें । लाभ होने पर सदृश दवा या कोलैटरल या कम्प्लीमेन्ट्री दवा चलाये । लाभ हो जाने पर अंतिम खुराक सल्फर देकर चार दिन से लेकर एक सप्ताह तक अपने संरक्षण में रखें । पूर्ण आरोग्य हो जाने पर दवा बन्द करें ।
 अगर चिकित्साक्रम में कोई पुरानी बीमारी के लक्षण या कोई विशिष्ट लक्षण दिखे तो उसकी दवा प्रारंभ करें और उसकी सही व्यवस्था करे तो रोगी स्थायी रुप से अरोग्यता प्राप्त कर पायेगा ।
 इस संदर्भ मे www.myxitiz.com पर पूर्व मे निर्देशित विधानानुसार दवाओं के प्रयोग किये जा सकते हैं ।
 हिप्पोजेनियम दवा श्वसन तंत्र के अंगों के हर रोगों के लिए लाभकारी है अगर रोग के लक्षण स्पष्ट हो तो यही दवा कारगर पायी जायेगी ।
 यह मेरी ओर से कोई भविष्यवाणी नहीं पूर्व के ( Past – Past – Masters ) चिकित्सकों की परीक्षित ज्ञान सम्पदा है । प्रयोजनीय सह नझुकरणीय भी , पथ प्रदर्शक तो है ही , इसे हमे भूलना नही …..!

 ( डा ० जी ० भक्त )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *