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आज का चिंतन

 कोरोना के संक्रमण संबंधी अबतक का वैश्विक परिदृश्य , भारतीय स्थिति , उसकी व्यापकता , नये संक्रमण , अब तक के आँकड़े , मृतकों की संख्या , सुधार एवम् मुक्ति का आकलन , निष्कर्ष एवम् व्यवस्थात्मक प्रक्रिया के संबंध में आगे का चिंतन , भविष्य के लिए हमारी प्रतिबद्धता क्या होगी , इन सारे विषयों पर चिंतन जारी है | लॉक डाउन में यातायात में संसाधन संग्रह , आगामी सोच , योजनाएँ , तैयारियाँ और इसका समाज पर पड़ने वाले प्रभावों से निजात पाना , बिगड़ती अर्थ – व्यवस्था , की भरपाई भविष्य में ऐसी विपदाओं से लड़ने हेतु प्रभावी तैयारी में विश्व की सामूहिक सोच क्या होगी , आदि पर विमर्श शुरू हो गया है | विश्व की जनता की क्या अपेक्षा होगी , हम उसमें कहाँ तक अपने – आप को आगे ला पाएँगे | इस पर भी अपने देश को विचारना होगा और अपने – आप को उसके मूल में जाकर निदान निकालना होगा |
 उपरोक्त प्रश्नों पर व्यापक विचार तो आवश्यक है ही ; प्राथमिकता स्वावलंबन पर , स्वास्थ्य और प्रतिरोधी क्षमता पर , दवाओं के अविष्कार पर , बेरोज़गारी की दशा में पलायन पर रोक और आत्मनिर्भरता को दिया जाना परमावश्यक होगा । हम एक बार अपने – आप पर , अपने संसाधन – संभावनाओं पर शक्ति , सामर्थ्य एवम् सहयोग भावना पर , वैदेशिक संबंधों पर एवम् आपात के प्रबंधनों पर विशेष प्रतिबद्धता पर खरा उतरना होगा | मानव मानव के पारस्परिक संबंधों , सांस्कृतिक आदान – प्रदान एवम् विश्व शांति के प्रयासों को सकारात्मकता एवम् पारदर्शिता के साथ स्थापित करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए |
 देश की जनता , सरकार , विभागीय अधिकारी एवम् कर्मचारीगण को भी अपने कर्तव्य पर खरा उतरकर जनतंत्र को सफल बनाने में साथ देना चाहिए जो आज लक्षित नहीं हो रहा | इसका प्रमाण है जनतंत्र का कमजोर होता जाना और गठबंधन पर उतर जाना | संक्षेप में यहीं कहूँगा की जान आकांक्षाओं की संतुष्टि में सरकार हमेशा पीछे रही है | आज जिन बिंदुओं पर देश को हम कमजोर पा रहे हैं वह राजनेता भली प्रकार जान रहे हैं |
बिहार के माननीय मुख्यमंत्री जी अपने राज्य के विकास और अपनी नीतियों की उपलब्धि पर बुलंद आवाज़ देते हैं , कभी अपने मान की ही बातें करते हैं |

 सत्यमेव जयते ॥

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