संस्कृति में परम्पराओं का पालन जरूरी किन्तु विचारणीय
संस्कृति में परम्पराओं का पालन जरूरी किन्तु विचारणीय डा० जी० भक्त सभ्यताओं के सृजन में काल और परिस्थिति की भूमिका का समावेश किंचित अभाव या अतिरेक हो जाना सम्भव है…
संस्कृति में परम्पराओं का पालन जरूरी किन्तु विचारणीय डा० जी० भक्त सभ्यताओं के सृजन में काल और परिस्थिति की भूमिका का समावेश किंचित अभाव या अतिरेक हो जाना सम्भव है…
विचारों की प्रखरता से सुदूर यात्रा की तैयारी डा० जी० भक्त विचारों में चेतना का प्रवाह एवं उसके प्रति जागरूक और पोषक ज्ञान श्रृंखला पर मंथन अगर अपने लक्ष्य पर…
हिंसा गरीबी का रहस्य डा० जी० भक्त ऐसा तो कही मैंने पढ़ा नही, न किसी के मुँह से सुना किन्तु वलवान द्वारा कमजोर को सताया जाना सर्व कालिक घटना है।…
आध्यात्मिक विषय, आत्म चर्य्या डा. जी. भक्त मेरे विद्यार्थी जीवन में सिलेक्श था जिसे हिन्दी राष्ट्रभाषा की पुस्तक में पढ़ा था । विद्यापति की कविता में- आध जनम हम नींद…
जीवन अनमोल है, जीने का ढंग चाहिए डा. जी. भक्त इस अखिल विश्व में मानव की श्रेणियाँ उनके स्वरूप , गुण – दुर्गुण , कर्म , जीवन स्तर , स्वभाव…
विजय की महत्वकांक्षा और मानव धर्म डा. जी. भक्त दो राष्ट्रों के बीच या दो व्यक्तिया के बीच संघर्ष अवश्य हो किसी कारण विशेष के द्योतक होते हैं । वे…
पुत्री और संस्कृति पुत्री और संस्कृति भाग-ख डा . जी . भक्त मानव के साथ जब जीवन का प्रश्न उठता है तब लक्ष्यों में जिम्मेदारिया जुड़ती हैं । जिसका विषय…