दीनता के प्रहार को संवेदना का स्वर चाहिए ।
दीनता के प्रहार को संवेदना का स्वर चाहिए । डा० जी० भक्त विकसित समाज और उपभोक्तावादी परिवेश में दीनता तब असह्य होती है जब परिवार को अपनी आवश्यक आवश्यकताओं पर…
दीनता के प्रहार को संवेदना का स्वर चाहिए । डा० जी० भक्त विकसित समाज और उपभोक्तावादी परिवेश में दीनता तब असह्य होती है जब परिवार को अपनी आवश्यक आवश्यकताओं पर…
एक आदर्शात्मक शुभ संदेश शारदा ( सरस्वती पूजा ) के अवसर पर डा० जी० भक्त सृष्टि की संस्कृति फैली संस्कृति कालान्तर में कई उत्थान – पतन के झकोड़े सही ,…
चेतन जीवन से सृष्टि की अपेक्षाएँ डा ० जी ० भक्त सृष्टिकर्ता के अनुसार हमारा अनुमान है कि चेतन सृष्टि के पीछे कुछ न कुछ सकारात्मक सोच जरुर रहा होगा…
देश के एकहत्तरवें गणतंत्र दिवस पर हार्दिक भाव सुमन डा० जी० भक्त हम मानव है , देश के नागरिक और विश्व मानव समुदाय की एक इकाई जन शक्ति , अगर…
कृषि कानून और कृषक डॉ. जी. भक्ता भारत के कृषि प्रधान देश कहलाने पर भी आज किसान अपने आपको आनाद्रित अनुभव कर रहे हैं । जबकि देश स्वतंत्र है और…
विश्व में कोरोना और भारत डॉ . जी . भक्ता आज कहना अनुचित होगा कि ज्ञान की मर्यादा समाप्त होती जा रही है और विज्ञान मानव जीवन पर भारी पड़ता…
सदाचार की महिमा डा ० जी ० भक्त सदाचरण की महिमा तो सबने स्वीकारी है । यह जीवन को समुज्जवल बनाता है । समुज्जवल का तात्पर्य है समान रूप से…